रीटेल शोबा में एफ डी आई पर फ़ैसला से दसतबरदारी मुम्किन नहीं

नई दिल्ली ३० नवंबर, ( पी टी आई)रीटेल शोबा में रास्त ग़ैर मुल्की सरमाया कारी के फ़ैसला से दस्तबरदार होने के यू पी ए में दाख़िली और अपोज़ीशन के मुतालिबात को अमली एतबार से मुस्तर्द करते हुए वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज इस फ़ैसला को जायज़ क़रार दिया।

उन्होंने कहा कि ये गहरे ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बाद क्या हुआ इक़दाम है। उन्होंने अप्पोज़ीशन पर इल्ज़ाम आइद किया कि वो पार्लीमैंट को कार्रवाई का मौक़ा नहीं दे रही है ।

उन्होंने कहा कि रियास्तों पर मर्कज़ी काबीना के फ़ैसला पर अमल आवरी की कोई पाबंदी नहीं है, इनके लिए अमल आवरी ना करने का मुतबादिल भी मौजूद है।

वज़ीर-ए-आज़म ने पुरज़ोर अंदाज़ में कहा कि ये फ़ैसला रीटेल शोबा में ग़ैर मुल्की रास्त सरमाया कारी के ज़रीया रोज़गार के मवाक़े फ़राहम करनी, काश्तकारों के मुआवज़ा में बेहतरी पैदा करनी, टैक्नालोजी की दरआमद के काबिल बनाने और सारिफ़ीन को फ़ायदे पहुंचाने के मक़सद से गहरे ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बाद क्या हुआ फ़ैसला है।

वज़ीर-ए-आज़म ने यूथ कांग्रेस कनवेनशन से ख़िताब करते हुए कहा कि वो कहना चाहते हैं कि हुकूमत का फ़ैसला उजलत में क्या हुआ फ़ैसला नहीं है बल्कि गहरे ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बाद किया गया है।

ये हमारे मुल्क केलिए फ़ाइदाबख्श होगा। उन्हों ने फ़ैसला का दिफ़ा करते हुए कहा कि पार्लीमैंट की कार्रवाई मुसलसल तीसरे दिन अपोज़ीशन और यू पी ए में शामिल तृणमूल कांग्रेस और डी ऐम के ने मफ़लूज कर रखी है क्योंकि वो अपने मुतालिबा पर अटल हैं। अपोज़ीशन की आवाज़ें कांग्रेस के अंदर भी उभर रही हैं।

मनमोहन सिंह ने फ़ैसला से दसतबरदारी को अमली तौर पर मुस्तर्द करते हुए कहा कि हम यक़ीन रखते हैं कि इस फ़ैसला से मुल्क में असरी टैक्नालोजी आएगी, देही इनफ़रास्ट्रक्चर बेहतर होगा, ज़रई पैदावार कम ज़ाए होगी और इस के मुआवज़ा में इज़ाफ़ा होगा जिस की वजह से हमारे काश्तकार अपनी फसलों की बेहतर क़ीमत हासिल कर सकेंगी।

फ़ैसला को जायज़ क़रार देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि होलसेल और रीटेल क़ीमतों में काफ़ी फ़र्क़ पाया जाता है इस में कमी वाक़्य होगी और सारिफ़ीन रोज़ाना इस्तिमाल केलिए कम क़ीमत में अशीया हासिल करसकेंगे जहां तक छोटे और चिल्लर फ़रोश ताजिरों का ताल्लुक़ है दीगर ममालिक में इस तजुर्बा के नताइज से ज़ाहिर होता है कि बड़े और छोटे और चिल्लर फ़रोश ताजिर तमाम बाआसानी हिंदूस्तान जैसे बड़े मुल्क में बकाए बाहम को यक़ीनी बना सकते हैं।

मुल्क् के छोटे ताजिरों के इस फ़ैसला से मुतास्सिर होने के अंदेशों का अज़ाला करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि हम ने रीटेल शोबा में रास्त ग़ैर मुल्की सरमाया कारी केलिए कुछ शराइत आइद की हैं जिन से छोटी सनअतों को भी फ़रोग़ हासिल होगा। उन्होंने कहा कि सब से अहम बात ये है कि हम किसी को इस पालिसी पर अमल आवरी केलिए मजबूर नहीं कर रहे हैं।

रियास्ती हुकूमतें अगर इस पालिसी के कारआमद होने से मुत्तफ़िक़ नहीं हैं तो वो चिल्लर फ़रोशी के शोबा में रास्त ग़ैर मुल्की सरमाया कारी पर अपनी अपनी रियासत में इमतिना आइद कर सकती हैं। उन्हों ने कहा कि एफडी आई से रोज़गार के मवाक़े में कई शोबों जैसे ग़िज़ा के तहफ़्फ़ुज़, हमल-ओ-नक़ल और ज़ख़ीराअंदोजी में इज़ाफ़ा होगा। उन्होंने तमाम नौजवानों पर ज़ोर दिया कि वो अवाम को इस मसला के बारे में दरुस्त मालूमात फ़राहम करें।

पार्लीमैंट में तात्तुल का हवाला देते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने अप्पोज़ीशन पर तन्क़ीद की और कहा कि पार्लीमैंट की कार्रवाई में ख़ललअंदाज़ी ना इंसाफ़ी के मुतरादिफ़ है।