रोहंगिया मुसलमानों को शहरी हुक़ूक़ दिए जाएं – अक़वामे मुत्तहिदा

अक़वामे मुत्तहिदा की जेनरल असेंबली ने मुत्तफ़िक़ा तौर पर म्यांमार की हुकूमत पर ज़ोर दिया है कि वो रोहंगिया मुसलमानों को मुकम्मल शहरी हुक़ूक़ देते हुए मुल्क भर में उन की आज़ादाना तौर पर नक़्लो हरकत पर पाबंदीयां उठा ले।

अक़वामे मुत्तहिदा की जेनरल असेंबली ने पीर के दिन एक मुत्तफ़िक़ा क़रारदाद मंज़ूर करते हुए म्यांमार की हुकूमत से मुतालिबा किया है कि वो मुल्क की क़्वानीन के मुताबिक़ वहां बसने वाले 1.2 मिलियन रोहंगिया मुसलमानों को मुकम्मल शहरीयत दे।

म्यांमार हुकूमत मुल्क की इस अक़लीयत को बंगाली क़रार देती है और उस का कहना है कि ये मुसलमान बंगलादेश से गै़र क़ानूनी तौर पर म्यांमार में आबाद हुए हैं। ये अमर अहम है कि जब म्यांमार में 2001 में जम्हूरी सफ़र शुरू हुआ तो इस जुनूब मशरिक़ी एशियाई मुल्क में इस अक़लीयत का मसअला शिद्दत अख़्तियार कर गया था।

उस वक़्त मुक़ामी बौद्ध अक्सरीयत की पुरतशद्दुद कार्यवाईयों की वजह से कम-अज़-कम 280 अफ़राद मारे गए थे। इन फ़सादाद में एक लाख चौदह हज़ार रोहंगिया मुसलमान बेघर भी हुए, जो अब तक राखीन सूबे में आरिज़ी पनाह गाहों में रहने पर मजबूर हैं।

यूरोपीय यूनीयन की तरफ़ से तैयार कर्दा इस ग़ैर पाबंद क़रारदाद में ये ज़ोर भी दिया गया है कि तशद्दुद, नफ़रत आमेज़ रवैयों, इक़्तिसादी महरूमी के ख़ात्मे और नसली बुनियादों पर इमतियाज़ी सुलूक जैसे मसाइल को हल करने की ख़ास कोशिश की जाए।