लाठियों के साथ रैली निकालने पर मोहन भागवत को कोर्ट में हाज़िर होने का आदेश

संघ की वार्षिक ‘पथ संचलन’ में लाठियों के इस्तेमाल के खिलाफ दायर एक याचिका पर महाराष्ट्र की सत्र अदालत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। सामाजिक कार्यकर्ता मोहनीश जीवनलाल ने अपनी याचिका में भागवत और संघ के दूसरे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

सार्वजनिक स्थानों पर लाठियों के इस्तेमाल पर आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए संघ प्रमुख भागवत और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले की 11 दिसंबर को सुनवाई होगी। इससे पहले मोहनीश सार्वजनिक स्थानों पर लाठियों के इस्तेमाल के विरुद्ध नागपुर पुलिस से संपर्क कर चुके हैं।

हालांकि पुलिस ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बाद में उन्होंने मजिस्ट्रेट कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां उनकी अपील इस आधार पर खारिज कर दी गई कि वार्षिक पथ संचलन में भागवत लाठी लेकर नहीं चलते हैं। मजिस्ट्रेट कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद मोहनीश ने सत्र अदालत में याचिका दाखिल की है।

पब्लिक प्लेस पर लाठी का इस्तेमाल संज्ञेय अपराध 
मोहनीश ने कहा, ‘28 मई को संघ की ओर से पथ संचलन का आयोजन किया गया था। इसमें स्वयंसेवकों ने सार्वजनिक स्थान पर लाठियों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद मैंने जिलाधिकारी और कमिश्नर के दफ्तर में इसकी शिकायत की।

बाद में मैंने पुलिस की स्पेशल ब्रांच में आरटीआई दाखिल कर यह जानकारी मांगी कि क्या पथ संचलन के आयोजकों ने सार्वजनिक स्थान पर लाठी के इस्तेमाल को लेकर पुलिस से इजाजत ली थी या नहीं?’ सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक, आरटीआई में यह जानकारी दी गई कि पथ संचलन के आयोजकों को लाठियों के प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई थी। सार्वजनिक स्थान पर लाठी का इस्तेमाल या उसको साथ लेकर चलना संज्ञेय अपराध है।