लाल क़िला हमला मुक़द्दमा, मुबय्यना लश्कर-ए-तयबा कारकुन के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात ख़ारिज

लश्कर-ए-तयबा का मुबय्यना अस्करीयत पसंद जिस पर 2000 में लाल क़िला पर दहश्तगर्द हमले में मुलव्वस होने के इल्ज़ाम में अलहदा तौर पर मुक़द्दमा चलाया जा रहा था, आज दिल्ली की एक अदालत ने उसे दहश्तगर्द हमले में मुलव्वस करने के सबूत मौजूद ना होने की बिना पर बरी कर दिया और इसके ख़िलाफ़ तमाम इल्ज़ामात ख़ारिज कर दिए।

एडीशनल सेशन जज पवन जैन ने मुबय्यना लश्कर-ए-तयबा कारकुन अतहर उद्दीन उर्फ़ अतहर अली को इसके ख़िलाफ़ इस इल्ज़ाम में मुक़द्दमा चलाने के लिए शवाहिद दस्तयाब ना होने की बिना पर बरी कर दिया। इसका मुक़द्दमा मुहम्मद आसिफ़ उर्फ़ इशफ़ाक़ का एक अहम साथी होने के इल्ज़ाम में भी दर्ज किया गया था।

अशफ़ाक़ को एक तहत की अदालत ने नवंबर 2005 में लाल क़िला हमला मुक़द्दमा में सज़ाए मौत सुनाई थी। अदालत ने कहा कि लाल क़िला पर 2000-ए-में हमला में मुलव्वस होने के कोई सबूत दस्तयाब ना होने की बिना पर मुल्ज़िम के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात ख़ारिज किए जाते हैं।

सिर्फ अतहर उद्दीन का एतराफ़ी ब्यान पुलिस के पास मौजूद है, जिसे बतौर शहादत कुबूल नहीं किया जा सकता। दिल्ली पुलिस के ख़ुसूसी शोबा ने इल्ज़ाम आइद किया था कि अतहर उद्दीन लश्कर-ए-तयबा का कारकुन है और आसिफ़ के साथ रवाबित बरक़रार रखे हुए था, लेकिन इस दावे के पुलिस कोई सुबूत पेश नहीं कर सके।

अतहर उद्दीन पर पुलिस ने इल्ज़ाम आइद किया था कि वो मुल्क के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहता था। इसके इलावा इसने क़त्ल , इक़दाम‍ ए‍ क़त्ल, मुजरिमाना साज़िश के इल्ज़ामात का भी इर्तिकाब किया था।