श्री लक्ष्मी तआवुन नहीं कर रही हैं : सी बी आई

हैदराबाद 29 नवंबर (पी टी आई) ऒबल् पुरम् माइनिंग कंपनी से मुताल्लिक़ गै़रक़ानूनी कानकनी के मुक़द्दमा मैं मुल्ज़िम सीनीयर आई ए ऐस ऑफीसर ईरा सिरी लक्ष्मी को अपनी तहवील में लेने वाले मर्कज़ी तहक़ीक़ाती इदारा (सी बी आई) ने अपनी दरख़ास्त रीमांड में दावा किया है कि श्री लक्ष्मी पूछगिछ के दौरान उन से तआवुन नहीं कररही हैं।

चुनांचे मुनासिब पूछगिछ के लिए उन्हें सी बी आई तहवील में लेना ज़रूरी है। सी बी आई ने अपनी दरख़ास्त रीमांड में कहा वो (सिरी लक्ष्मी) लापता हो सकती हैं, मुल्क से फ़रार भी होसकती हैं और तहक़ीक़ात में तआवुन नहीं कररही हैं क्यों कि वो एक आई ए ऐस ऑफीसर हैं और एक आई पी ऐस ऑफीसर की बीवी हैं, चुनांचे उन के पास ऐसा करने केलिए बेपनाह वसाइल हैं।

सी बी आई ने इस्तिदलाल पेश किया कि सिरी लक्ष्मी से सब से पहले कल उन के दफ़्तर पर पूछगिछ की गई थी लेकिन उन्हों ने तआवुन करने से साफ़ इनकार करदिया और दूसरे ओहदेदारों, सीनीयर सियासतदानों के इलावा दीगर ऐसे मुल्ज़िमीन के बारे में जिन पर इन का असर है, तफ़सीलात बताने से भी इनकार करदिया ताकि इस बात को यक़ीनी बनाया जा सके कि ओबलापुरम माइनिंग कंपनी को पट्टे पर कानकनी की इजाज़त दिए जाने से मुताल्लिक़ अहम मालूमात फ़राहम ना हो सकें।

इस मुक़द्दमा में इस ख़ातून आई ए ऐस ओहदेदार को चौथा मुल्ज़िम बनाया गया है। पहले मुल्ज़िम गाली जनार्धन रेड्डी हैं, मुल्ज़िम नंबर दो बी वी सरीनवास रेड्डी हैं जो गाली जनार्धन रेड्डी के बहनोई हैं। इलावा अज़ीं महिकमा कानकनी-ओ-तबक़ात-उल-अरज़ के साबिक़ डायरैक्टर बी डी राज गोपाल मुल्ज़िम नंबर 3 हैं।

ऒबल् पुरम् माइनिंग कंपनी को दी जाने वाली इजाज़त के बारे में तहक़ीक़ात शुरू की गई हैं। ये तमाम इजाज़त नामे 2004-2009 -ए-के दरमयान जारी किए गए थे जब आँजहानी वाई ऐस राज शेखर रेड्डी चीफ़ मिनिस्टर के ओहदा पर फ़ाइज़ थी।

सी बी आई के मुताबिक़ सिरी लक्ष्मी ने ऒबल् पुरम् माइनिंग कंपनी को कानकनी की इजाज़त दिलाने के लिए दीगर मुल्ज़िमीन के साथ साज़िश रची थी, इस अमल में उन्हों ने कानकनी-ओ-मादनियात (तरक़्क़ी-ओ-क़वाइद) क़ानून और मादनियाती क़ानून रियायत की ख़िलाफ़वरज़ी की थी।

अदालत में पेश करदा दरख़ास्त रीमांड में सी बी आई ने मज़ीद कहाकि श्री लक्ष्मी ने अपने सरकारी ओहदा का नाजायज़ इस्तिमाल करते हुए 18 जून 2007 -ए-को 2 हुकमनामे जारी करते हुए ओबलापोरम माइनिंग कंपनी को इजाज़त दी थी जबकि दीगर दरख़ास्त गुज़ारों की बोलियों को मुस्तर्द करदिया गया था।