सईद नूरसी एक शख़्सियत नहीं बल्कि एक अह्देज़रीं का नाम: डाक्टर एहसान मुस्तफ़ा सालही

मलापुरम, ३१ जनवरी (रास्त) तुर्की इस्तंबोल फ़ाउंडेशन बराए उलूम व तहज़ीब और दारालहदी इस्लामिक यूनीवर्सिटी की मुशतर्का तौर पर मुनाक़िद की जानी वाली कान्फ़र्स का बड़े ही तज़क वाहतशाम से आग़ाज़ हुआ इस बैन-उल-अक़वामी कांफ्रेंस का आग़ाज़ मौलाना इसहाक़ बाक़वी (प्रिंसिपल डिग्री सेक्शन )की रक्त अंगेज़ दा से हुआ।

मेहमानान ख़ुसूसी वशरका-ए-मजलिस का इस्तिक़बाल करते हुए डाक्टर बहाउद्दीन मुहम्मद शाज़ली वाइस चांसलर दारालहदी ने कहा कि हम हिंदूस्तानी मुस्लमानों को चाहिए कि अल्लामा बदी अल्ज़मान सईद अल नूरसी के पयाम मुहब्बत को दुनिया में हर तरफ़ पहुंचाएं ताकि दुनिया का हर फ़र्द जान ले कि इस्लाम दहश्तगर्दी का नहीं बल्कि अमन वाशती का मज़हब है|

केरला मुस्लमानों के रूह रवां मज़हबी पेशवा अल्लामा सैयद मुनव्वर अली शहाब बा अलवी उल-हुसैनी ने अपनी सिदरहती तक़रीर से सामईन को महज़ूज़ कर दिया ।इस अज़ीमुश्शान बैन-उल-अक़वामी कान्फ़र्स का इफ़्तिताह करते हुए शेख़ डाक्टर एहसान मुस्तफ़ा अलसालही (मुतर्जिम रसाइल नूर ) ने कहा कि इस्लामी तारीख़ में अल्लामा बदी अल्ज़मान सईद अलनोरसी ऒ की तरह मुतअद्द नामवर शख़्सियात हैं|

जिन पर तारीख़ ने मज़ालिम के पहाड़ तोड़े और मशतशरक़ीन वमग़रबी मौरर्ख़ीन की अज़ल से यही कोशिश रही कि इन जैसे मसलहान क़ौम की ज़िंदगी के ज़रीं औराक़ मिटा दिए जाएं ताकि आइन्दा नसल उन के आलमगीर अफ़्क़ार से महरूम रहे। एहसान सालही वो अज़ीम शख़्सियत हैं जिन्हों ने नोरसीऒ की आफ़ाक़ी इल्हामी किताबों का अरबी में तर्जुमा किया ।

इस बैन-उल-अक़वामी समीनार बउनवान रसाइल नूर और जदीद तुर्की में इस्लाम में मुतअद्द नामवर शख़्सियात ने तहक़ीक़ी वालमी वफ़करी मक़ालात पेश किए जिन में डाक्टर कोलिन टोरनर (दिरहम यूनीवर्सिटी ।यूके) डाक्टर रज़ा अकाली(तुर्की रुकन पार्लीमान) प्रोफ़ैसर डाक्टर थॉमस माईकल (जोर डेव टाउन यूनीवर्सिटी यू एसए) प्रोफ़ैसर अलपासलान (ज़रलदस यूनीवर्सिटी तुर्की) प्रोफ़ैसर बिलाल कसपीनार (गुल यूनीवर्सिटी कनाडा) डाक्टर इर्फ़ान उमर (मार कैविटी यूनीवर्सिटी यवीस ए) डाक्टर सय्यद अबद अलमानम पाशा (जामिआ मीलिया इंडिया ) डाक्टर फ़ैसल अलहदवी (अलीगढ़ ऑफ़िस कैंपस केरला ) डाक्टर बहा-ए-उद्दीन अलहदवी ( नीशील अनसटोट केराला ) डाक्टर सईद अलहदवी (जामिआ मुलिया इंडिया ) काबिल-ए-ज़िकर हैं।