सज्‍जन कुमार बरी, जज पर फेंका जूता

नई दिल्‍ली, 30 अप्रैल: 1984 के दिल्ली कैंट सिख दंगा मामले मे कड़कड़डूमा कोर्ट ने अपने फैसले में सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद दंगे के मुतास्सिरा लोग अपने आप से बाहर हो गए हैं और वे कह रहे हैं कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फैसले के दौरान एक शख्स ने जज की तरफ जूता उछाल दिया। कोर्ट से बरी सज्जन कुमार पर भी किसी ने हमला करने की कोशिश की ले‌किन सेक्युरिटी ने उनको बचा लिया। उसके बाद सज्जन कुमार को पीछे के रास्ते से बाहर निकाला गया।

कोर्ट ने छह लोगों में से पांच को मुजरिम पाया है और सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। कोर्ट ने पांच में से तीन को कत्ल का मुजरिम और दो को दंगा फैलाने का मुजरिम पाया है।

यह मामला पालम के राजनगर इलाके में पांच सिखों के कत्ल से जुड़ा है। नानावती जांच कमीशन की सिफारिश के बाद 2005 में सीबीआई ने दंगों की जांच शुरू की थी।

मुतास्सिरा जगदीश कौर का कहना था कि एक नवंबर 1984 को शौहर केहर सिंह, बेटे और दो भाइयों का कत्ल कर दिया गया था।

उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी लेकिन कत्ल की जांच नहीं हुई। जगदीश कौर ने कहा कि उन्होंने जो शिकायत पालम चौकी में तीन नवंबर 1984 को दी थी, वह आज तक किसी रिकॉर्ड में नहीं आई।

नानावती जांच कमीशन के सामने जगदीश कौर ने कहा था कि दंगों के दौरान उन्होंने सज्जन कुमार को वहां देखा था।

हाईकोर्ट ने 1984 दंगों से मुताल्लिक सुल्तानपुरी मामले में सज्जन कुमार समेत पांच मुल्ज़िमों की दरखास्त पर फैसला मुल्तवी कर दिया है।

इन लोगों ने खुद के खिलाफ मुकर्ररा मुकद्दमा को चुनौती देने वाली दरखास्त कोर्ट में दायर की थी।

जस्टिस सुरेश कैथ ने फैसला पीर के दिन के लिए महफूज़ रख लिया था। पीर के दिनफैसले से पहले ही शिकायतकर्ता शीला कौर ने दरखास्त दाखिल कर मामले में उनका मौकिफ सुनने की गुज़ारिश की।

उन्होंने कहा कि मुल्ज़िमों के खिलाफ तय फर्द ए जुर्म को रद्द नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अदालत ने अगली सुनवाई 15 मई तय कर दी।

निचली अदालत ने 1984 में हुए दंगों के इस मामले में साबिक एमपी सज्जन कुमार, ब्रह्मानंद गुप्ता, पेरू, कुशाल सिंह और वेद प्रकाश पर जुलाई 2010 में फर्द ए जुर्म तय किए थे।