सब्ज़ी मंडी फ़साद(दंगा/उपद्रव‌)

हैदराबाद ३१अक्टूबर ( सियासत न्यूज़ ) मैंने 15 साल बाद हैदराबाद में डयूटी अंजाम दी है । ये बात एक पुलिस मुलाज़िम ने बताई जो स्पैशल पुलिस फ़ोर्स से वाबस्ता है । इस मुलाज़िम ने अपना नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर अपनी तकलीफ़ को ब्यान किया और अपनी ख़ाहिश का इज़हार करते हुए कहा कि रियासत के मौजूदा हालात को बदलना मौजूदा हुकूमत के बस के बाहर है । इस पुलिस मुलाज़िम ने कहा कि वो ग्यारह साल क़बल गणेश बंद-ओ-बस्त केलिए हैदराबाद आया था और बंद-ओ-बस्त के बाद चला गया था । लेकिन जब इस मर्तबा वो बंद-ओ-बस्त केलिए आया है तो उसे वापिस जाने का मौक़ा ही दस्तयाब(उपलब्ध‌) नहीं हुआ ।

चूँकि शहर में एक के बाद दीगर फ़िर्कावाराना वाक़ियात और इस के लिए बंद-ओ-बस्त ने अपने घर जाने का मौक़ा ही फ़राहम नहीं किया है । इसी पुलिस मुलाज़िम(कर्मचारी) ने जो वजया नगरम से हैदराबाद ख़ुसूसी बंद-ओ-बस्त केलिए आया है ने बताया कि फ़सादाद पर क़ाबू पाना और इमकानी तशद्दुद को रोकना और क़बल उज़्व कत् मंसूबों को कामयाब बनाना पुलिस के हाथ ज़रूर है लेकिन इन तमाम कामों में हुकूमत की दिलचस्पी-ओ-इक़दामात काफ़ी मानी रखती है जो साबिक़ा हुकूमत में थी ।

इस पुलिस मुलाज़मीन ने साबिक़ा चीफ़ मिनिस्टर-ओ-सदर तलगोदीशम मिस्टर एन चंद्रा बाबू नायडू के दौर-ए-हकूमत का तज़किरा करते हुए कहा कि चंद्रा बाबू हुकूमत में शहर के हालात पुरअमन थे और जब शहरी ख़ुशहाल ज़िंदगी बसर करते हैं तो पुलिस भी सुकून से रह सकती है । इस मुलाज़िम(कर्मचारी) ने इस बात की भी याददेहानी(याद दिलाना) करवाई और कहा कि हालाँकि उस वक़्त भी पमफ़लट के ज़रीया फ़साद फैलाया गया था जो शहर की छोटी सी जमात के कारकुनों की साज़िश थी और अब सयासी बेरोज़गार सस्ती शौहरत केलिए अवाम में तफ़रीक़ा डाल रहे हींओर फ़िकरॊपरस्त जमातों केलिए ऐसे वाक़ियात ऑक्सीजन से कम नहीं । इस पुलिस मुलाज़िम ने अफ़सोस का इज़हार करते हुए कहा कि अवाम को चाहीए कि वो अपने दोस्त और दुश्मन की निशानदेही करें ।