सुभाष घई की इंस्टीट्यूट विसलिंग उड्स (Whistling Woods) तनाज़ा का शिकार

फ़िल्म डायरेक्टर‍ व प्रोड्यूसर सुभाष घई को एक झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसला को बरक़रार रखा है जहां सुभाष गई को फ़िल्म सिटी में वाक़्य 20 एकड़ अराज़ी पर उनके फ़िल्म इंस्टीट्यूट की अराज़ी को वापस करने की हिदायत की गई है । जस्टिस एन एल दत्तू और सी के प्रसाद पर मुश्तमिल एक बंच ने महाराष्ट्रा के वज़ीर आला विलास राव देशमुख को भी आड़े हाथों लिया जहां उन्हों ने 2004 में अराज़ी अलॉट की थी ।

बंच ने कहा कि वज़ीर आला अराज़ी अलॉट करने के लिए उसूल‍ व ज़वाबत में तरमीम का इख्तेयार नहीं रखते। सरकारी अराज़ी को किसी के भी हवाले नहीं किया जा सकता चाहे वो फ़िल्मी शख्सियत हो या कोई और मशहूर-ओ-मारूफ़ शख्सियत।

फ़ाज़िल अदालत ने मज़ीद कहा कि अराज़ी के अलाटमेंट में शफ़्फ़ाफ़ियत का फ़ुक़दान था की उनका देशमुख के पेशरू वुज़राए आला ने भी इस प्रोजेक्ट को कलेवर नहीं किया था । सुभाष घई की नुमाइंदगी करने वाले वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा कि इंस्टीट्यूट में अब तक 50 करोड़ रुपये की सरमाया कारी की जा चुकी है जो विसलिंग उड्स के नाम से मशहूर हो चुका है । लिहाज़ा उसे मुनहदिम नहीं किया जाना चाहीए।