सेक्शन 66 के ग़लत इस्तेमाल के तदारुक के लिए नए रहनुमायाना ख़ुतूत

नई दिल्ली, ३० नवंबर (पीटीआई) आई टी एक्ट की शक़ 66 के तहत मुआमला रजिस्टर करने के लिए अब डी सी पी के रुतबा से कमतर रुतबा के ओहदेदार को इजाज़त नहीं दी जा सकती क्योंकि इस मुतनाज़ा शक़ की वजह से हालिया दिनों में हुई गिरफ़्तारीयों पर काफ़ी शोर-ओ-गुल हुआ था ।

मेट्रो पोलटीन शहरों (metropolitan cities) के मुआमले में आई जी पी सतह का पुलिस ओहदेदार होना ज़रूरी है । मुताल्लिक़ा पुलिस आफीसर या पुलिस स्टेशन को उस वक़्त तक मुआमला दर्ज करने की इजाज़त नहीं होगी जब तक कि वो डी सी पी रुतबा के किसी आफीसर से इजाज़त हासिल ना कर लें ।

ये लज़ूम शहरी और देही इलाक़ों में होगा जबकि मेट्रो पोलटीन शहरों के लिए आई जी सतह से मंज़ूरी हासिल करना ज़रूरी है । इन रहनुमा या ना ख़ुतूत की इजराई मुंबई पुलिस की जानिब से आई टी एक्ट की शक़ 66(A) के तहत मुतनाज़ा गिरफ़्तारीयों के बाद अमल में आया जो दरअसल इलेक्ट्रानिक पैग़ामात के ज़रीया मुनाफ़िरत फैलाने के लिए आइद किया जाता है ।

दो नौ उम्र तालिबात ने जब बाल ठाकरे की अर्थी जलूस के मौक़ा पर मुंबई बंद पर एतराज़ किया था और जिनकी गिरफ़्तारी के बाद उन की रिहाई भी अमल में आई थी इस वाक़िया के बाद मज़कूरा शक़ को हज़फ़ करने के बारे में ग़ौर-ओ-ख़ौज़ किया गया था । कल एक 19 साला लड़के को राज ठाकरे के ख़िलाफ़ फेसबुक पर काबिल एतराज़ तब्सिरा करने पर गिरफ़्तार किया गया था लेकिन बादअज़ां उसे छोड़ दिया गया था ।

यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि मौजूदा सूरत-ए-हाल में इस शक़ के ज़रीया किसी भी पुलिस स्टेशन का इन्सपेक्टर मुआमला दर्ज कर सकता है । शक़ 66(A) क़ाबिल ज़मानत जुर्म तसव्वुर किया जाता है जिसमें तीन साल तक जेल की सज़ा की गुंजाइश रखी गई है । इस शक़ का इतलाक़ उन लोगों पर होता है जो मुवासलाती तरीका-ए-कार या कम्पयूटर और फेसबुक के ज़रीया अपने तब्सिरों से मुनाफ़िरत फैलाने की कोशिश करते हैं ।

ज़राए ने बताया कि एकबार रहनुमा या ना ख़ुतूत की तफ़सीली इजराई अमल में आ जाएगी तो ऐसे मुआमलात का इआदा नहीं होगा ।