सोनिया गांधी का साल नौ जश्न ना मनाने का फैसला

नई दिल्ली, 01 जनवरी : (पीटीआई) दार-उल-हकूमत में इजतिमाई इस्मत रेज़ि के दिलदोज़ वाक़िया और मुतास्सिरा लड़की की इबरतनाक मौत ने सदर कांग्रेस सोनिया गांधी को इतना रंजीदा कर दिया है कि उन्होंने नये साल की तक़रीबात से दूर रहने का फैसला किया है ।

पार्टी जनरल सेक्रेटरी जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि सोनिया गांधी ने पार्टी के तमाम क़ाइदीन और वर्कर्स को फ़र्दन फ़र्दन ये पैग़ाम रवाना किया है कि वो उन्हें नये साल की मुबारकबाद पेश ना करें और ना ही उनकी रिहायशगाह पर तशरीफ़ लाएं।

याद रहे कि 23 साला इस्मत रेज़ि की शिकार लड़की की नाश का ताबूत जब सिंगापुर से नई दिल्ली लाया गया था उस वक़्त वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी दोनों एयरपोर्ट पर मौजूद थे । सिंगापुर के माउंट एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल में 23 साला निर्भय की मौत वाकेय् हो गई थी ।

यही नहीं बल्कि वज़ीर ए आज़म और सोनिया गांधी ने मतोफ़ेआ के ग़मज़दा अरकान ख़ानदान से बात करते हुए उन्हें पुर्सा भी दिया । दरी असना ए आई सी सी है हेडक्वार्टर्स पर कांग्रेस के 127 वीं यौम तासीस के मौक़ा पर सोनिया गांधी ने कहा कि यों तो 28 दिसंबर से ही नये साल की मुबारकबादियों का तबादला शुरू हो जाता है लेकिन जारीया साल ऐसा नहीं हुआ क्योंकि हमारा दिल-ओ-दिमाग़ इस अल-मनाक वाक़िया पर मर्कूज़ था।

लाज़िमी बात है कि जब मुल्क में कोई अन्दोहनाक वाक़िया रौनुमा हुआ हो तो उस वक़्त ख़ुशीयों और मुसर्रतों के प्रोग्राम में कैसे शिरकत की जा सकती है । सोनिया गांधी ने कहा कि इस्मत रेज़ि के मुल्ज़िमीन को सख़्त से सख़्त सज़ाएं दी जाएगी । क़ानून अपना काम ज़रूर करेगा ताकि दूसरे इससे इबरत हासिल करें।

जब तक क़वानीन सख़्त नहीं होंगे , ऐसे वाक़ियात रौनुमा होते रहेंगे।