स्वप्नों का नतिजा बताना

हजरत मोहंमद ( स.व.) की तशरीफ़ आवरी(आने ) से पहले इल्म ताबीर(स्वपनों का नतीजा बताना) तमाम उलूम में अशर्फ़ और अर्फ़ा (उंचा) शुमार होता था। इन तमाम दलीलों के बावजूद मुल्हिदीन की एक जमात ने ये कहते हुए रोया सालीहा (पवीत्र स्वप्नों) का इंकार किया है कि ख्वाब का ताल्लुक़ सिर्फ मनूष्य की तबीयत‌ के ग़लबा पर है। चुनांचे अगर मिज़ाज पर सौदा का ग़लबा हो तो ख्वाब में क़ुबूर, ख़ौफ़नाक औरभयंकर ,भयानक वस्तूएं देखे गा। और अगर सफ़रा का ग़लबा हो तो आग, सफेदी, रोशनी और ख़ून का नज़ारा करेगा और अगर मिज़ाज पर बल्ग़म का ग़ल्बा होतो पानी नहरें और मोजों का मुशाहिदा करेगा, अगर नफ़स पर दम (ख़ून) का ग़लबा होतो पीने वाली चीज़ें, हवाएं, खेल कूद‌ की चीजें ढोल बाजे वग़ैरा नज़र आयेंगे। और उन का कहना है कि बस यही ख्वाब‌ है ख्वाब की इस के इलावा कोई और हकीकत‌ नहीं हालाँकि इन सब के इलावा ख्वाब के और भी अस्बाब हैं। बाज़ ख्वाब शैतान की तब्बीस से देखे जाते हैं और बाज़ हदीस-ए-नफ़स की वजह से नज़र आते हैं। इन सब को आपस में इख़तिलाफ़ की वजह से अज़्ग़ास-ए-अह्लाम कहते हैं। जो मुशाबेह हैं अस्ग़ास-ए-नबात के,

अज़्ग़ास नबात इस गठड़ी को कहते हैं जिस में ज़मीन से उठाई गई छोटी-ओ-बड़ी, सुर्ख़, सफ़ैद, पीली, ख़ुशक-ओ-तर मुख़्तलिफ़ किस्म की लकड़ियां मौजूद होती हैं। बाज़ उलेमा का कहना है कि ख्वाब‌ की तीन क़िस्में हैं। पहली किस्म मूबशशिरात है जो अल्लाह की तरफ़ से दिखाए जाते हें यही वो रूया सालीहा हैं जिन का तज्किरा हदीस पाक में आया है।
दूसरी किस्म वो डराउने ख्वाब हैं जो शैतान के तसर्रुफ़ से देखे जाते हैं। तीसरी कसम वो है जिस में इंसान अपने नफ़स से हमकलाम होता है, यानी नफ़स इंसान की वजह से देखे जाते हैं।

जहां तक इन डराउने ख्वाबों का ताल्लुक़ है जो शैतान की तरफ़ मंसूब हैं उन की कोई ताबीर नहीं है और ना ही उन की कोई हक़ीक़त है। चुनांचे हदीस शरीफ़ में आता है कि एक आदमी ने नबी करीम (स.व.) की ख़िदमत में हाज़िर होकर अर्ज़ कीया या रसूल अल्लाह मैंने ख़ाब में देखा कि गोया मेरा सर क‌टकर मेरे आगे आगे जा रहा है और में इस के पीछे चल रहा हूँ तो नबी करीम (स.व.) ने फ़रमाया तर्जुमा : एसी बात को ब्यान ना करो जो शेतान तेरे साथ अठ खेलीयाँ करता हें नींद में।
और ख़ाब की वो किसम जो नफ़स की तरफ़ मंसूब है ये है कि मसलन एक आदमी किसी से शदीद मुहब्बत करता है या किसी से शदीद ख़ौफ़ रखता है और इसी का ख़्याल जमा हुवा हे तो ख़ाब में इसी शख़्स को देखेगा, या भूक की हालत में सौ गया तो ख़ाब में अपने आप को कुछ खाता हुवा देखेगा, या पेट भर कर खाया हो तो ख़ाब में अपने आप को कय‌ करता हुवा देखेगा। या तेज़ धूप में सौ जाये तो ख़ाब में अपने आप को आग में जलता हुवा देखेगा, या इस के किसी उज्व में दर्द हो तो ख़ाब मैं ख़ुद को किसी अज़ाब में मुबतला देखेगा।