हाशिमपुरा नरसंहार: सजा पाए सभी PAC जवानों को पेश करने के लिए अदालत ने यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया!

हाशिमपुरा कांड में उम्रकैद की सजा पाए पीएसी के जवानों को पुलिस अभी तक कोर्ट में पेश नहीं कर पाई है। कोर्ट ने यूपी पुलिस को नोटिस भेजा है कि 19 दिसंबर तक सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाए। हालांकि इनमें कमल सिंह की मौत हो चुकी है। वहीं बाकी चार आरोपियों को पेश करने के लिए यूपी पुलिस ने कोर्ट से थोड़ा समय मांगा है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मामले में सुनवाई करते हुए 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इन जवानों पर 42 लोगों की हत्या और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज था।

पीड़ित के अनुसार एक ट्रक को रात करीब साढ़े नौ बजे हमलावर मुरादनगर गंग नहर पर ले गए। मैं उसी ट्रक में था। सबसे पहले ट्रक से उतारकर मोहम्मद यासीन (आरटीओ दफ्तर में कार्यरत चपरासी) को गोली मारी गईं।

एक-एक करके सबको गोली मारकर नहर में डाल दिया। मेरी दाहिनी बगल में गोली लगी थी, जिस कारण मैं जिंदा रहा और झाड़ियां पकड़कर छिपा रहा। मेरे अलावा मोहम्मद नईम, बाबूदीन, मुजीबुर्रहमान और उस्मान भी उसमें बच गए थे, जबकि 42 लोग मारे गए थे।

हमलावरों के जाने के बाद मैं मुरादनगर और फिर वहां से गाजियाबाद के तत्कालीन डीएम नसीम जैदी के पास पहुंचा। फिर सांसद शाहबुद्दीन और सुब्रमण्यम स्वामी से मुलाकात होने के बाद प्रेस वार्ता करके पुलिस की बर्बरता को उजागर किया था।

अशफाक का कहना है कि मुझे पुलिस वाले पकड़ कर सिविल लाइन थाने ले गए थे। वहां से अन्य लोगों के साथ अब्दुल्लापुर जेल और फिर फतेहगढ़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। आज भी वह लम्हा याद कर आंखें भर आती हैं, जब पुलिस और मिलिट्री वालों ने बेकसूरों को घर से पकड़ा और यातनाएं दीं।

हाजी जहीरुद्दीन ने दावा किया कि मुझे पुलिस वाले पकड़ कर सिविल लाइन थाने ले गए थे। लोहे की रॉड मारकर मेरी टांग और एक बाजू तोड़ दी थी। इसके बाद जेल में डाल दिया था। ऐसा कृत्य करने वाले पुलिसकर्मियों को पहले ही सजा मिल जानी चाहिए थी।

बाबूदीन के मुताबिक पीएसी के जवान जब लाशों को हिंडन नदी में फेंक कर चले गए, तो कुछ देर बाद लिंक रोड थाने के पुलिसकर्मी गश्त करते हुए आए। नदी किनारे खड़े होकर कहने लगे कि गोलियों की आवाज तो यहीं से आई थी, पर यहां कोई नजर नहीं आ रहा। बाबूदीन ने बताया कि पुलिसकर्मियों को देख कर वह घबरा गया और काफी दूर तक तैरता हुआ आगे बढ़ने लगा।

इस पर पुलिस वालों ने कहा कि कौन है बाहर आओ, नहीं तो गोली मार देंगे। बाबूदीन ने बताया कि जब उसे ये भरोसा हो गया कि ये पुलिस वाले दूसरे हैं, तब वह नदी से बाहर निकला और पूरी बात बताई। उन पुलिसकर्मियों ने वायरलेस से अधिकारियों को सूचना दी और उसे मोहननगर स्थित नरेंद्र मोहन अस्पताल ले जाकर भर्ती करा दिया था।

साभार- ‘अमर उजाला’