ख़ालिद मुजाहिद के चचा ने छः लाख रुपये का चेक वापस किया

लखनऊ, 31 मई: (सियासत न्यूज़) रियासत के वज़ीर-ए-आला अखिलेश यादव ने अपनी वज़ारती कौंसल के रुकन पारस नाथ यादव को आज जौनपूर के क़स्बा त्रिया हो छः लाख रुपये का चेक लेकर भेजा ।ये चेक नवंबर 2007 में हुए कचहरी बम धमाकों के एक मुबय्यना मुल्ज़िम मौलाना ख़ालिद मुजाहिद जिन की 18 मई को पुलिस हिरासत में पुरासरार मौत हो गई थी जिस को मौलाना ख़ालिद मुजाहिद के ख़ानदानों वालों ने पुलिस क़त्ल बताते हुए 42 पुलिस वालों के ख़िलाफ़ क़त्ल और क़त्ल की साज़िश का मुक़द्दमा 19 मई को बाराबंकी कतवाली में दर्ज कराया है ।

मौलाना ख़ालिद मुजाहिद की बेवा वालिदा की गुज़रबसर के लिए रियासती हुकूमत ने रकम दिया था लेकिन रियासती वज़ीर पारस नाथ यादव जब ये छः लाख रुपय का चेक लेकर ख़ालिद मुजाहिद के हक़ीक़ी चचा मौलाना ज़हीर आलम फ़लाही के घर पहुंचे तो मौलाना ज़हीर आलम फ़लाही ने ये चेक लेने से इनकार कर दिया ।

उन्होंने कहा कि ख़ालिद मुजाहिद की मौत शहादत की हुई है और शहादत का कोई मुआवज़ा नहीं होता । बताया जाता है कि मौलाना ज़हीर आलम फ़लाही ने पारस नाथ यादव से ये भी शिकवा किया कि मुसीबत की इस घड़ी में हमदर्दी जताने के लिए ना तो वज़ीर-ए-आला आए और ना ही उनकी वज़ारती कौंसल का कोई वज़ीर आया ।

इम्दादी रक़म दे कर ख़ालिद मुजाहिद के ख़ानदान को तसल्ली नहीं दी जा सकती है । उन्होंने कहा कि उन्होंने जिन 42 पुलिस वालों के ख़िलाफ़ क़त्ल और क़त्ल की साज़िश का मुक़द्दमा दर्ज कराया लेकिन दस रोज़ बाद ही उनकी इस रिपोर्ट पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है ।

मौलाना ज़हीर आलम फ़लाही ने उन से निमेश कमीशन की रिपोर्ट को मंज़रे आम पर लाने और ख़ालिद मुजाहिद के दीगर साथी जो कचहरी बम धमाकों के मुक़द्दमात में माख़ूज़ किए गए हैं उन पर से मुक़द्दमात वापस लेने के लिए क़ानूनी चाराजोई किए जाने का भी मुतालिबा किया ।

दूसरी तरफ़ आज भारतीय जनता पार्टी ने मौलाना ख़ालिद मुजाहिद के ख़ानदान को छः लाख रुपये देने के रियासती हुकूमत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ रियासत गीर एहतिजाजी मुज़ाहिरे किए । लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के कारकुनों ने धरने के बाद रियासत के गवर्नर बी एल जोशी से मुलाक़ात कर के अपनी एक अर्ज़दाश्त दी जिस में पार्टी ने इस मुआमले में उन से मुदाख़िलत करने की अपील की ।

अर्ज़दाशत में नबीरा आला हज़रत मौलाना तौक़ीर को रियासती हुकूमत की जानिब से कारपोरेशन का चेयरमैन बनाकर उनको वज़ीर-ए-ममलकत का दर्जा दिए जाने पर भी अपने शदीद रद्द-ए-अमल का इज़हार किया ।