पुलिस ने यहां मौक़ूआ ओशो आश्रम के इंतिज़ामियाँ को नोटिस जारी करते हुए हिदायत दी है कि आँजहानी रुहानी गुरु के वसियत नामा की असल दस्तावेज़ात पेश की जाये।
याद रहे कि ओशो के कुछ अकीदतमंदों ने ट्रस्टियों पर इल्ज़ाम आइद किया था कि वो ओशो की करोड़ों रुपये मालियत की जायदादों पर अपना हक़ जताने आँजहानी के वसियत नामा की मुबय्यना जाली नक़ल तैयार किए हैं।
मज़कूरा नोटिस ओशो इंटरनेशनल मीडिया सेशन रेसॉर्ट जो कोरीगाव पार्क में वाके है, के उमूर से वाबस्ता इंतिज़ामी ओहदेदारों को रवाना की गई है चूँकि इसे पहले 8 दिसम्बर को योगेश ठक्कर उर्फ़ स्वामी प्रेम गीत ने इशूज़ फ्रेंड्स फाउंडेशन (OFF) की जानिब से एक एफ़ आई आर दाख़िल की थी जो दरअसल ओशो के अकीदतमंदों का एक हरीफ़ ग्रुप है।
एफ़ आई आर मौजूदा छः इंतिज़ामी ओहदेदारों पर ये इल्ज़ाम लगाया गया था कि 15 अक्टूबर 1989 की तारीख़ के साथ एक जाली वसियत नामा तैयार किया है जिस पर ओशो के जाली दस्तख़त भी मौजूद हैं ताकि ओशो की करोड़ों रुपये मालियत की जायदादों पर अपना हक़ मिल्कियत साबित करसकें।
आचार्य रजनीश या ओशो के अकीदतमंद उनकी तालीमात पर आलमी सतह पर अमल करते हैं। नोटिस की इजराई चार रोज़ पहले की गई थी जिस में ट्रस्टीज़ को हिदायत की गई है कि वो ओशो के वसियत नामा की असली दस्तावेज़ात पेश करें अलबत्ता इस मुआमले में आश्रम हुक्काम की जानिब से पुलिस को अब तक कोई रद्द-ए-अमल वसूल नहीं हुआ है।
कोरीगाव पुलिस के बयान के मुताबिक़ नोटिस रवाना किए जाने के चार रोज़ बाद भी आश्रम हुक्काम ने कोई तवज्जो नहीं दी है। अलबत्ता मुख़्तलिफ़ तहरीरों की इफ़ादियत और असलियत मालूम करने वाले सरकारी माहिरीन की ख़िदमात भी हासिल की जाएंगी जिसके ज़रिया पुलिस इस बात का पता लगाएगी कि दस्तावेज़ पर ओशो के दस्तख़त असली हैं या जाली। आचार्य रजनीश का 1990 में इंतिक़ाल होगया था।