गुजिशता दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हुक्म दिया है कि आईनी ओहदों पर रहनेवाले ही लाल बत्ती का इस्तेमाल करेंगे। झारखंड में इस हुक्म के लागू होते ही लाल बत्ती के लिए आईनी ओहदे नहीं होने की वजह एमपी, एसेम्बली, आइएएस, आइपीएस अफसरों समेत दीगर के गाड़ियों से लाल बत्ती छिन जायेगी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रियासती हुकूमत को तीन माह के अंदर आईनी ओहदों की फेहरिस्त तैयार करने का हुक्म दिया है। इधर, झारखंड में लागू मर्कज़ी मोटर गाड़ी दस्तूरुल अमल के नियम-108(111) में गाड़ियों पर लाल बत्ती का इस्तेमाल करनेवाले ओहदों को नोटोफिकेशन किया है। गौर तलब है कि मर्कज़ी हुकूमत ने वैसे 90 लोगों को मुतल्ली कर रखा है, जो लाल बत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इनकी लाल बत्ती जाना तय
एमपी, एमएलए, जिला अफसर, सीनियर पुलिस अफसर, तहसीलदार, जिला पंचायत सदर, प्रिन्सिपल सेक्रेटरी, आइएएस और आइपीएस अफसर।
वजीरे आला, वज़ीर समेत डीजीपी और दीगर आला अफसरों के काफिले में सायरन का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रैफिक ऑपरेशन में अचानक सायरन बजने से गाड़ी चलानेवाले आम लोगों को भी काफी परेशानी होती है। कई बार तो ऐसा होता है कि सायरन बजानेवाले गाड़ी रुकते भी नहीं हैं, जिससे हादसा की खदशा बढ़ जाती है। कई बार हादसा भी हो चुकी हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट के हुक्म में
आईनी ओहदे पर बैठे सख्स ही लाल बत्ती लगा सकते हैं। रियासतों में उनके बराबरी को यह हक़ होगा, पर ऑन ड्यूटी।
मुतल्लिक़ सख्स गाड़ी में नहीं हैं, तो बत्ती को काले कवर से ढंका जाये।
मर्कज़ी हुकूमत ने 11 जनवरी 2002 और 28 जुलाई 2005 को नोटिफिकेशन जारी की थी। उसी की बुनियाद पर रियासती हुकूमत अपने यहां फेहरिस्त तैयार करें और तीन माह मे जमा करें।
किसी भी गाड़ी में म्यूजिकल और कर्कश आवाज करनेवाले हॉर्न का इस्तेमाल नहीं किया जाये। ऐसे गाड़ियों से हॉर्न हटाये जायें।
पुलिस, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और दीगर हंगामी एजेंसियों के गाड़ियों में लाल बत्ती न लगायी जाये। उन पर नीली, सफेद और बहुरंगी बत्तियां लगायी जा सकती हैं।