तस्वीरकशी ग़ैर इस्लामी , दार-उल-उलूम दिओवबंद का ताज़ा फ़तवा

हिन्दुस्तान के नामवर दीनी मदर्रिसा दार-उल-उलूम ने एक फ़तवा जारी करते हुए फोटोग्राफी को ग़ैर इस्लामी और गुनाह क़रार दिया है हालां कि मक्का मुअज़्ज़मा जैसे मुक़द्दस शहर में भी सऊदी अरब की हुकूमत फोटोग्राफर्स को तस्वीरें लेने की इजाज़त दे रही है और आलमगीर सतह पर इस्लामी चैनलों पर नमाज़ की अदाएगी का मंज़र रास्त दिखाया जा रहा है।

मुहतमिम दार-उल-उलूम दिओबंद मुफ़्ती अब्दुह लुका सिम नामानी ने कहा कि फोटोग्राफी ग़ैर इस्लामी है , मुस्लमानों को फोटोग्राफी की इजाज़त नहीं है। सिर्फ़ पासपोर्ट की तय्यारी यह शनाख़ती कार्ड की तय्यारी के लिए फोटोग्राफी का इस्तिस्ना दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शादियों की वीडियोग्राफी और आइन्दा नसलों के लिए यादगार के तौर पर तस्वीरकशी और वीडियो टेप तैयार करना इस्लाम में जायज़ नहीं है।

जब ये निशानदेही की गई कि सऊदी अरब जो इस्लाम की मबादियात पर सख़्ती से अमल करता है वो भी मक्का मुअज़्ज़मा में तस्वीरकशी की इजाज़त दे रहा है और नमाज़ के मुनाज़िर आलमगीर सतह पर इस्लामी चैनलों पर दिखाए जा रहे हैं तो नामानी ने कहा कि अगर वो एसा करते हैं तो करने दीजिए हम उसकी इजाज़त नहीं देते , वो जो कुछ करते हैं वो तमाम दुरुस्त नहीं क़रार दिया जा सकता।

उन्होंने इत्तिफ़ाक़ किया कि इस फ़तवे के इजरा की वजह एक सवालनामा था। एक इंजीनिरिंग ग्राइजवेट ने कहा था कि उसे फोटोग्राफी से बहुत दिलचस्पी है और वो उसे बतौर कैरियर अपनाना चाहता है इस बारे में मज़हबी अहकाम क्या हैं? इस के सवाल का जवाब देते हुए फ़तवे में कहा गया कि फोटोग्राफी गैरकानूनी और गुनाह है। हदीस शरीफ़ इस के ख़िलाफ़ सख़्ती से इंतिबाह देती है कि ये रास्ता ना अपनाया जाये।

इंजीनिरिंग कोर्स की बुनियाद पर आप को मुनासिब रोज़गार इख़तियार करना चाहीए। कल हिंद मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के रुकन मुफ़्ती अबदुलइर्फ़ान कादरी रज़्ज़ाक़ी ने भी नामानी के फ़तवे से इत्तिफ़ाक़ करते हुए कहा कि इस्लाम इंसान और जानवरों की तस्वीरकशी को ममनूआ क़रार देता है। जो भी एसा करेगा उसे अल्लाह के हुज़ूर में जवाब देना होगा। इस याद दहानी पर कि सऊदी अरब उसकी इजाज़त दे रहा है।

उन्होंने कहा कि उनके मालदार होने का ये मतलब नहीं कि वो जो कुछ करते हैं दुरुस्त हैं। अगर वो फोटोग्राफी की इजाज़त दे रहे हैं तो उन्हें रोज़ अल्लाह को इसका जवाब देना होगा। इसी तरह का एक फ़तवा उस वक़्त जारी किया गया जबकि एक टी वी रिपोर्टर ने सवाल किया था कि क्या वीडियो कैमरा का सामना करना इस्लाम के ख़िलाफ़ है। फ़तवे में कहा गया है कि एसा कोई काम जो गैरकानूनी और हराम हो क़तई गैरकानूनी है चाहे ये काम ज़बानी हो या तहरीरी। टी वी चैनल को खबरें फ़राहम करना और उसको रोज़गार का ज़रीया बनाना ग़ैर इस्लामी है।