लाहौर की एक अदालत ने पीएमएलएन हुकूमत को एक पाकिस्तानी खातून के हिंदुस्तानी शौहर को मुल्क से निकालने पर रोक लगा दी है और हुकूमत हिदायत दी है कि वह 20 दिसंबर तक जवाब दाखिल करे। राबिया जहांगीर ने बुध के रोज़ लाहौर हाईकोर्ट में एक दरखास्त दायर की जिसमें कहा गया है कि उसने साल 2005 में हिंदुस्तानी शहरी जफर रियाज से शादी की और उनके दो बच्चे हैं।
उन्होंने कहा कि मेरे शौहर का हिंदुस्तान में बिजनस बरबाद हो गया है और माली तौर पर उनकी मदद करने के लिए वहां उनका कोई नहीं है। मेरे शौहर रिहायशी परमिट मिलने के बाद से पाकिस्तान में मेरे साथ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि हुकूमत ने उनका वीजा बढाने से मना कर दिया है और गैर मुल्की रजिस्ट्रेशन आफीसर ने 29 नवंबर 2013 को हुक्म दिया कि वे 14 दिसंबर तक पाकिस्तान छोड दें।
दरखास्तगुज़ार ने दलील दी कि अगर उनके शौहर को उनके साथ पाकिस्तान में रहने की इज़ाज़त नहीं दी गई तो उनकी शादीशुदा जिंदगी खतरे में पड जाएगी और बच्चे अपने बाप से महरूम हो जाएंगे। उसने अदालत से गुहार लगाई की कि वह उसके शौहर को मुल्क से निकालने पर रोक लगाए और उन्हें मुस्तकिल वीजा देने के लिये हुकूमत को हिदायत दे।
जस्टिस एजाजुल अहसन ने हुक्म सुनाते हुए वकाफी हुकूमत को 20 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक दरखास्तगुज़ार के शौहर के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका।