मुज़फ़्फ़र नगर फ़सादात का एक 68 साला मुतास्सिर शख़्स ज़िला शामली के मौजा अम्बेटा में वाके एक रीलीफ़ कैंप में फ़ौत होगया। किराना के तहसीलदार ठाकुर प्रसाद ने कहा कि रज़ी उद्दीन नामी शख़्स कल तप-ए-दिक़ की वजह से ठीक ना होसका जबकि रीलीफ़ कैंप के मुंतज़िम गुलफ़ाम ने ये इल्ज़ाम आइद किया कि तप-ए-दिक़ से मरने की सिर्फ़ झूटी बातें की जा रही हैं जबकि हक़ीक़त ये है कि रज़ी उद्दीन की मौत शदीद सर्दी की वजह से हुई है
वहां सर्दी से बचने के लिए मुनासिब इंतिज़ामात भी नहीं हैं और इस पर सितम ये कि मज़ीद 300 पनाह गज़ीन वहां मौजूद हैं। शाम में जब खाना बनाने के लिए चूल्हे जलाए जाते हैं (लकड़ियां जलाई) तो हर खेमा के अतराफ़-ओ-अकनाफ़ बच्चों, जवानों और उम्र रसीदा अफ़राद की भीड़ लग जाती है और वो आग तापने लगते हैं कि उन्हें पता होता है कि जब तक खाना बन रहा है, आग जलती रहेगी और जब खाना तय्यार होजाएगा और चूल्हे सर्द पड़ जाएंगे तो इसके बाद उन्हें पूरी रात कड़ाके की सर्दी में गुज़ारनी है।
जब जवानों के हौसले पस्त हैं तो उम्र रसीदा अफ़राद भला किस तरह शिद्दत की सर्दी बर्दाश्त करसकते हैं। मुल्क पर इलाक़ा में वाके एक दीगर रीलीफ़ कैंप में एक पाँच साला बच्चे को कुत्ते ने काट लिया। अब इसका मूसिर ईलाज होगा या नहीं ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।
मुल्क पर रीलीफ़ कैंप में जुमला 33 बच्चे अपने अरकान ख़ानदान के साथ मुक़ीम हैं। याद रहे कि साल सितंबर में मुज़फ़्फ़रनगर में फूट पड़ने वाले फ़िर्कावाराना फ़सादात में 60 अफ़राद हलाक और 40,000 अफ़राद बेघर होगए थे। वाज़िह हो कि इन रीलीफ़ कैंपों में तकरीबन हर रोज़ मीडिया के नुमाइंदों का दौरा होता है और उन्होंने हुकूमत को पनाह गज़ीनों को दरपेश मुश्किलात के बारे में कई बार मतला किया लेकिन हुकूमत को जो इक़दामात करने चाहिए था वो अब तक नहीं हुए।
बाअज़ ख़ानगी इदारे और NGOs की जानिब से फ़राहम की गई इमदाद पर ही पनाह गज़ीनों का गुज़ारा है।