अंसारी बंधु दल बदलू, राजपूत और केवल अपने घर के नेता हैं, किसी पार्टी और कौम के नेता नहीं—हैदर अली टाईगर

शम्स तबरेज़, सियासत न्यूज़ ब्यूरो, लखनऊ।
दिलदारनगर(ग़ाज़ीपुर): समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने अंसारी बंधुओं को टक्कर देने के लिए एक से एक दिग्गजों को अपना टिकट दिया। उन्हीं प्रत्याशियों में एक नाम हैदर अली टाईगर भी आता है। सपा—कांग्रेस के गठबंधन ने हैदर अली टाईगर को मुख्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी को मुहम्मदाबाद सीट से चुनौती देने के लिए उतारा था, लेकिन गठबंधन के लिए अफसोस की बात ये रही कि जिस उम्मीदवार को तुरूप का इक्का समझकर टिकट दिया। उसका नामांकन ही खारिज हो गया और सारे किए कराए पर पानी फिर गया।
सोमवार को उत्तर प्रदेश्या के गाज़ीपुर ज़िले के दिलदारनगर स्थित एस.के.बी.एम. डिग्री कालेज में आज़म खां के चुनावी कार्यक्रम के दौरान सियासत लखनऊ ब्यूरो से बात करते हुए हैदर अली टाईगर ने मुख्तार अंसारी, सिबगतुल्लाह अंसारी और अफज़ाल अंसारी को दलबदलू और राजपूत कहा और राजपूत का मतलब भी बताया अर्थात जिसका राज उसके पूत।
सियासत ने हैदर अली टाईगर से पूछा कि ‘आप पर ये आरोप है कि मुहम्मदाबाद सीट पर सपा—कांग्रेस गठबंधन और भाजपा एक साथ सिबगतुल्लाह अंसारी को टक्कर देने के लिए खड़े हैं, तो इस सवाल पर हैदर अली टाईगर ने कहा कि अंसारी बंधु कोई नेता नहीं है और न ही किसी पार्टी के नेता हैं। ​बल्कि ये दल बदलू हैं, जिसका राज होगा उसके पूत होंगे और हैदर अली टाईगर ने अंसारी बंधुओं को राजपूत का उपनाम भी दे दिया। हैदर अली टाईगर ने कहा कि विधायक होना आसान है, लेकिन नेता होना आसान नहीं है।
हैदर अली टाईगर को शायद खुद भी ये अंदाज़ा नहीं था कि वो क्या बोल रहे है। अगर विधायक होना आसान है और नेता होना कठीन! तो हैदर अली टाईगर विधायक बनने की पहली परीक्षा में फेल क्यों हो गए।
हैदर अली टाईगर ने कहा कि अंसारी बंधु कौम और मिल्लत के नेता नहीं बल्कि अपने घर के नेता हैं और इनका राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके मुहल्ले में रहता है।
हैदर अली टाईगर ने आज़म खां को कायदे आज़म कहा और मुलायम सिंह यादव को नेता के तौर पर पेश किया।
हालांकि अंसारी बंधु आज सपा का दामन छोड़कर हाथी पर सवार हैं इसलिए सभी समाजवादी और कांग्रेसी एक सुर में अंसारी बंधुओं को खरी खरी सुना रहे है, लेकिन जब कौमी एकता दल समाजवादी पार्टी में विलय हुई थी तब उनके कौमी एकता दल के आलोचक फूल मालाओं से अंसारी बंधुओं का स्वागत सत्कार में लगे हुए थे।
हैदर अली टाईगर सियासत के किसी भी सवाल का जवाब स्पष्ट नहीं दिया बल्कि पूछा कुछ और जाता था जवाब कुछ और ही मिल रहा था।