अक़लियती तलबा के लिए ओवरसीज़ स्कालरशिपस स्कीम तात्तुल का शिकार

हैदराबाद 01 सितम्बर:अक़लियती तलबा के लिए बैरूनी यूनीवर्सिटीज़ में तालीम पर स्कालरशिप से मुताल्लिक़ स्कीम पर अमल आवरीबेचैनी का शिकार हो चुकी है।

हुकूमत की आला इख़तियारी कमेटी ने मौसूला दरख़ास्तों की दुबारा जांच और तमाम शराइत की तकमील का जायज़ा लेने के बाद पहले मीटिंग में मनज़ोरा 280 दरख़ास्तों में से 86 को नामंज़ूर कर दिया है। इस तरह ओवरसीज़ स्कालरशिप स्कीम पर अमल आवरी महिकमा अक़लियती बहबूद में तनाज़े का शिकार बन चुकी है।

एसे तलबा जिन्हों ने इस स्कीम के लिए दरख़ास्तें दाख़िल की थी, वो अपनी दरख़ास्तों को मुस्तर्द किए जाने की इत्तेला से मायूसी का शिकार है।

बावसूक़ ज़राए ने बताया कि आला इख़तियारी कमेटी ने हुकूमत की तरफ से जारी करदा शराइत की बुनियाद पर दरख़ास्तों का दुबारा जायज़ा लिया।

कमेटी ने पहले मरहले में 280 दरख़ास्तों को ओवरसीज़ स्कालरशिप के लिए अहल क़रार देते हुए फ़हरिस्त को क़तईयत दी थी। 280 मुंतख़ब दरख़ास्त गुज़ारूँ की फ़हरिस्त भी तैयार करली गई लेकिन उन्हें वैब साईट पर अपलोड नहीं किया गया। कमेटी ने दुबारा 280 मुंतख़ब दरख़ास्तों का जायज़ा लेने के बाद पहले मरहले में 86 दरख़ास्तों को मुस्तर्द कर दिया जिस के लिए शराइत की अदम-तकमील वजह बताई जा रही है।

ज़राए ने बताया कि हुकूमत ने 19 मई को जी ओ एम एस 24 में जो शराइत पेश की थी, उनमें से तमाम शराइत का जायज़ा लिए बग़ैर ही 280 उम्मीदवारों का इंतेख़ाब कर लिया गया था। पहली मर्तबा मुनाक़िदा मीटिंग में उम्मीदवारों के लिए लाज़िमी तौर पर मौजूद GRE या GMAT इमतेहानात में कामयाबी की शर्त से इस्तिस्ना दिया गया था, जिसके बाइस 280 उम्मीदवार मुस्तहिक़ क़रार पाए।

ताहम बाद में आला ओहदेदारों ने इस शर्त से इन्हिराफ़ को हुकूमत की पालिसी के मुग़ाइर तसव्वुर करते हुए जी आर ई और जी मेट ना रखने वाले उम्मीदवारों की दरख़ास्तों को मुस्तर्द कर दिया।

चूँकि हुकूमत इस स्कीम के तहत उम्मीदवारों को 10 लाख रुपये की स्कालरशिप फ़राहम कर रही है, लिहाज़ा वो चाहती हैके नामवर और बड़ी यूनीवर्सिटीज़ में दाख़िला हासिल करने वाले तलबा को ही ये रक़म मंज़ूर की जाये। एक आला ओहदेदार ने बताया के अमरीका , बर्तानिया, आस्ट्रेलिया , कैनेडा और सिंगापुर में कई छोटी और ग़ैर-मारूफ़ यूनीवर्सिटीज़ मौजूद हैं जिनमें दाख़िले के लिए जी आर ई या जी मेट ज़रूरी नहीं।

बेशतर तलबा ने इस तरह की यूनीवर्सिटीज़ में दाख़िला हासिल करते हुए स्कालरशिपस के लिए दरख़ास्तें दाख़िल की हैं। हुकूमत एसी दरख़ास्तों को क़बूल नहीं करेगी क्युंकि जी ओ में जी आर ई और जी मेट को लाज़िमी क़रार दिया गया है। ज़राए ने बताया कि साबिक़ में मनज़ोरा 280 दरख़ास्तों मैं लड़कीयों के लिए 33 फ़ीसद नशिस्तों के अलाटमेंट के शर्त को नजरअंदाज़ कर दिया गया।

उस के अलावा दुसरे अक़लियती तबक़ात जैसे ईसाई , सिख ,पार्सी और जैन तबक़ात को उनकी आबादी के मुताबिक़ नुमाइंदगी नहीं दी गई। लिहाज़ा दरख़ास्तों की दुबारा जांच करते हुए ख़वातीन के लिए 33 फ़ीसद नशिस्तों के अलाटमेंट को यक़ीनी बनाने का फ़ैसला किया गया है।

ज़राए ने बताया कि हुकूमत की तरफ से मनज़ोरा 25 करोड़ के बजट के ज़रीये सिर्फ़ 250 उम्मीदवारों को ही स्कालरशिप फ़राहम की जा सकती है। लिहाज़ा 250 नशिस्तों में 33 फ़ीसद नशिस्तें ख़वातीन को अलाट की जाएँगी। अगर 33 फ़ीसद के मुताबिक़ दरख़ास्तें वसूल ना हूँ तो दुबारा स्कीम की तशहीर करते हुए तालिबात से दरख़ास्तें तलब की जाएँगी।

दुसरे अक़लियती तबक़ात को भी उनकी आबादी के मुताबिक़ कोटा अलाट किया जाएगा। बताया जाता हैके साबिक़ में जिस अंदाज़ में उम्मीदवारों का इंतेख़ाब किया गया, इस पर हुकूमत ने नापसंदीदगी का इज़हार किया है और जी ओ में मौजूद तमाम शराइत पर अमल आवरी की हिदायत दी है।

बताया जाता हैके दुसरे अक़लियती तबक़ात की तरफ से हुकूमत से नुमाइंदगी की गई कि इस स्कीम के इस्तेफ़ादा कुनुन्दगान के इंतेख़ाब के सिलसिले में क़वाइद को नज़रअंदाज कर दिया गया।

बताया जाता हैके कई यूनीवर्सिटीज़ में दाख़िले के लिए जी आर ई या जी मेट ज़रूरी नहीं लेकिन हुकूमत इस तरह की यूनीवर्सिटीज़ को मोतबर यूनीवर्सिटीज़ की फ़हरिस्त में नहीं मानती। लिहाज़ा वो सिर्फ़ बड़ी यूनीवर्सिटीज़ में दाख़िले की सूरत में स्कालरशिप फ़राहम करेगी।

एसी यूनीवर्सिटीज़ जहां दाख़िले के लिए जी आर ई या जी मेट लाज़िमी होगा। सिर्फ उन यूनीवर्सिटीज़ में दाख़िले पर स्कालरशिप फ़राहम की जाएगी।स्कीम पर अमल आवरी में अचानक रुकावट और बड़े पैमाने पर दरख़ास्तों को मुस्तर्द किए जाने से तलबा और ओलयाए तलबा में बेचैनी पाई जाती है।