शहर हैदराबाद और सिकंदराबाद में कई ख़ान्गी डिग्री और जूनियर कॉलेजेस चलाए जा रहे हैं और इन में तलबा और तालिबात की कसीर तादाद तालीम हासिल कर रही है।
मर्कज़ी और रियासती हुकूमत ने मुल्क में शरह ख़वांदगी में इज़ाफ़ा के लिए और खासतौर पर अक़लीयतों की तालीमी पसमांदगी दूर करने के लिए प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप्स की फ़राहमी का आग़ाज़ किया है लेकिन आम तौर पर सरकारी स्कीमात पर अमल आवरी में दरमियानी आदमी यानी दलाल अपना रोल ज़रूर अदा करता है।
नतीजा में इन स्कीमात के समरात अक़लीयतों को मिल नहीं पाते। ये भी एक कड़वी हक़ीक़त है कि हुकूमतें अक़लीयतों की तरक़्क़ी के लिए जब कभी कोई स्कीमात शुरू करती हैं तो उन की अमल आवरी में रुकावट के लिए ख़ुद सरकारी ओहदेदार सरगर्म हो जाते हैं।
लगता है कि पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप्स स्कीम में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। पुराना शहर और अतराफ़ और अकनाफ़ में एक अंदाज़ा के मुताबिक़ तक़रीबन 200 डिग्री और जूनियर कॉलेजेस होंगे और बाअज़ इंतेज़ामीया ऐसे भी हैं जिन के तहत दो चार यहां तक के 6 कॉलेजेस भी चलाए जा रहे हैं।
दूसरी जानिब ऐसा लगता है कि महकमा समाजी बहबूद के इस इक़दाम से गरीब तलबा पर ही बोझ आइद होगा क्यों कि कॉलेज इंतेज़ामीया मशीनों की खरीदी के लिए तलबा तालिबात से रक़म वसूल कर सकता है।
कॉलेज इंतेज़ामीया और ओलियाए तलबा के ख़्याल में महकमा समाजी बहबूद को इस तरह की हिदायात से दस्तबरदार होना चाहीए ताकि गरीब तलबा और कॉलेज मैनेजमेंट्स पर इस का बोझ आइद ना हो।