अक़ल्लीयती कमीशन मुकम्मल इख़्तेयारात का ख़ाहां

नई दिल्ली, २७ जनवरी (पी टी आई) दस्तूरी मौक़िफ़ के हुसूल के लिए कई बरसों की जद्द-ओ-जहद के बाद क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन ने अब इस जद्द-ओ-जहद को तर्क कर दिया है, अलबत्ता क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन के ख़ुतूत पर तहक़ीक़ात के इख़्तयारात देने की ख़ाहिश ज़ाहिर की है।

क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन के चेयर परसन वजाहत हबीबउल्लाह ने कहा कि दस्तूरी मौक़िफ़ देने के लिए कमीशन ने अपने मुतालिबा को अब तर्क करदिया है। मौजूदा क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन क़ानून में पाई जाने वाली कमज़ोरीयों को दूर करते हुए उसे मज़बूत बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।

वजाहत हबीबउल्लाह ने कहा कि हम ने कमीशन को दस्तूरी मौक़िफ़ देने का मुतालिबा तर्क करदिया है, इस की बजाय कमीशन के क़वानीन को मज़बूत बनाने का मुतालिबा किया जा रहा है। सिर्फ दस्तूरी मौक़िफ़ हासिल होने से इस क़ानून में कोई फ़र्क़ नहीं आएगा। हिंदूस्तान में अदलिया और नज़म-ओ-नसक़ के बिशमोल एक मुकम्मल इनफ्रास्ट्रक्चर पाया जाता है।

क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन का काम सिर्फ उन इदारों से काम लेना है। क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन अपने तौर पर उन्हें तबदील नहीं कर सकता। ये एक क़ौमी ढांचा है, जिसे काम करना है। अक़ल्लीयतों का तहफ़्फ़ुज़ इसी क़ानून से किया जाता है। क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन के सरबराह ने ये भी तस्लीम किया कि कमीशन के क़ानून में बाअज़ कमज़ोरियां पाई जाती हैं, क्योंकि इस के पासे ख़ातिर ख़ाह तहक़ीक़ाती इख़्तयारात नहीं हैं।

हम यही मुतालिबा कर रहे हैं कि क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन को क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन के ख़ुतूत पर तहक़ीक़ात के इख़्तेयारात तफ़वीज़ किए जाएं। वजाहत हबीबउल्लाह ने मज़ीद कहा कि क़ौमी अक़ल्लीयती कमीशन ने तीन माह क़बल ही अपने मुतालिबात से वज़ारत को वाक़िफ़ करवाया है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। हमारा मुतालिबा वज़ारत के ज़ेर-ए-ग़ौर है, हम समझते हैं कि इस पर क़तई फ़ैसला किया जाएगा।