अगर इस मुस्लिम देश ने ऐसा कर दिया तो इजरायल की खैर नहीं!

अमरीका की द्वारा खुले उल्लंघन और युरोप की ओर से की जाने वाली लापरवाही की वजह से अन्ततः ईरान के सब्र का प्याला भर गया और उसने गत बुधवार को एलान किया कि वह परमाणु समझौते के कुछ वचनों का पालन 60 दिनों के लिए रोक रहा है और यदि इन 60 दिनों में युरोप ने अपने वचनों का पालन किया तो ईरान फिर से पहली वाली हालत पर लौट जाएगा अन्यथा, जेसीपीओए के बारे में नये फैसले करेगा।

पार्स टुडे डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, एलमानिटर के अनुसार इससे पहले इस्राईल को यह चिंता थी कि कहीं ईरान, परमाणु समझौते से निकलने का ही एलान न कर दे। इस्राईल की चिंता इस लिए थी कि ईरान, परमाणु समझौते से निकलने के बाद यूरेनियम का संवर्धन पुनः आरंभ कर सकता है जो निश्चित रूप से इस्राईल के लिए चिंताजनक है।

ईरानी राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने बुधवार को कह दिया है कि अगर दो महीनों के भीतर हालात नहीं बदले तो ईरान, यूरेनियम का संवर्धन आरंभ कर देगा।

दर अस्ल हालिया दिनों में अमरीकी खुफिया एजेन्सियों ने दावा किया है कि इस प्रकार की सूचनाएं हैं कि ईरान, अमरीकी हितों पर हमले कर सकता है हालांकि ईरान ने इन सूचनाओं को गलत बताया है लेकिन इस प्रकार की ” खुफिया सूचनाएं” प्रायः मोसाद द्वारा गढ़ी जाती हैं यही वजह है कि एलमानीटर से वार्ता में नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक इस्राईली सैन्य अधिकारी ने कहा कि ईरान द्वारा स्वंय ही सैन्य कार्यवाही की संभावना नहीं है अलबत्ता यह हो सकता है कि ईरान, हिज़्बुल्लाह जैसे अपने किसी प्रतिनिधि को इस प्रकार के हमले का आदेश दे दे।

एलमानिटर के अनुसार मोसाद ने अमरीका से कहा है कि ईरान, अपने प्रतिनिधियों द्वारा उसके खिलाफ हमले करवा सकता है। अपनी इस बात को साबित करने के लिए हालिया दिनों में इस्राईल ने दावा किया है कि हिज़्बुल्लाह के सदस्य, ईरान के कीश द्वीप में देखे गये हैं जिसके बाद यह अनुमान लगाया जाने लगा कि हुरमुज़ स्ट्रेट में किसी भी प्रकार के हमले के लिए ईरान कीश द्वीप को प्रयोग करने का इरादा रखता है।

अगर ईरान ने हुरमुज़ स्ट्रेट बंद कर दिया तो इससे इस्राईल को भी काफी नुक़सान होगा, इस्राईल इस से भी चिंतित है। यह चिंता इस लिए है क्योंकि ईरान ने पहले ही चेतावनी दी है कि वह अमरीका को इस बात की अनुमति नहीं देगा कि वह हुरमुज़ स्ट्रेट को अशांत बनाए।

वाशिंग्टन का कहना है कि इस्राईली खुफिया एजेन्सी के पास ऐसे सुबूत हैं जिनसे पता चलता है कि ईरान, फार्स की खाड़ी में पश्चिम के हितों पर आक्रमण का इरादा रखता है। वास्तव में इस्राईल के हवाले से इस प्रकार की ” सूचनाओं ” का उद्देश्य, ईरान को भड़काना है ताकि वह भड़क कर कोई एसा क़दम उठा दे जिससे उनके लिए आसानी हो जाए।

ईरान का कीश द्वीप जिसे फार्स की खाड़ी का नगीना कहा जाता है।
इस्राईल अस्ल में हल्दी लगे न फिटकरी और रंग चोखा आए की कहावत के अनुसार, बिना किसी नुक़सान के ईरान के लिए हालात खराब करना चाहता है इसके साथ ही वह सीधे रूप से ईरान से टकराना भी नहीं चाहता और उसकी हमेशा से यह कोशिश रही है कि ईरान के साथ अमरीका का टकराव हो जिससे उसका फायदा हो।

सऊदी अरब की भी यही इच्छा है इस प्रकार के यह तिकड़ी, क्षेत्र में माहौल गर्म कर रही है लेकिन इसके साथ ही विशेषकर इस्राईल को यह चिंता है कि अगर ईरान द्वारा संभावित रूप से जवाबी कार्यवाही में कहीं उसे नुक़सान न हो जाए इसी लिए वह पहले से ही हिज़्बुल्लाह के नाम की गुहार लगा रहा है क्योंकि उसे सब से अधिक खतरा हिज़्बुल्लाह से है जो उसके सिर पर सवार हैं और जिसके प्रमुख हसन नसरुल्लाह ने घोषणा की है कि हिज़्बुल्लाह के जियाले, इस्राईल को भरपूर जवाब देने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही इराक़ के अन्नुजबा संगठन ने इस्राईल पर भयानक हमले की धमकी दी है।