अदालत ने गोद लिए मुस्लिम बच्ची का जबरन धर्मान्त्र्ण रोक दिया

राइन वेस्टफेलिया: जर्मनी की एक अदालत ने एक मुस्लिम लड़की का मुंह बोले ईसाई माता पिता के जरिए उसकी मर्जी के खिलाफ किये जा रहे धर्मान्त्र्ण करने से मना कर दिया और आदेश दिया कि गोद लिए बच्ची के धर्म के निर्धारण के लिए अपने सगे पिता की इच्छा निर्णायक होनी चाहिए।

जर्मनी के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर राइन वेस्टफेलिया के शहर हम (Hamm) से मिलने वाली समाचार एजेंसी डी पी ए रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने इस मामले में आदेश सुनाया कि बात अगर किसी गोद लिए बच्चे के धर्म परिवर्तन की हो, तो इसके लिए मुंह बोले माता पिता की इच्छा ही एकमात्र महत्वपूर्ण राय नहीं होगी बल्कि निर्णायक बात यह होगी कि ऐसे किसी बच्चे के असली माता पिता क्या चाहते हैं?

डी पी ए के अनुसार Hamm की एक उच्च प्रांतीय अदालत ने अपने इस फैसले की जानकारी शुक्रवार 6 मई को जारी किया। यह मुकदमा एक मुसलमान लड़की को गोद लेने वाले माता-पिता और बच्ची की सगी माँ के बीच था।

बच्ची को गोद लेने वाले माता पिता कैथोलिक आस्था में यकीन रखने वाले ईसाई नागरिक हैं जबकि उसके सगे पिता मुसलमान हैं। पक्षों के बीच विवाद उस समय शुरू हुआ जब मुंह बोले माता पिता इस बच्ची का धर्म परिवर्तन करवा कर इसका प्रशिक्षण एक ईसाई के रूप में करना चाहते थे और उनका इरादा था कि लड़की को ईसाई धर्म के अनुसार बपतिस्मा भी दिलाया जाए।

दूसरी ओर बच्ची की सगी मां ने खुद को प्राप्त अपनी इस वंश की परवरिश का कानूनी अधिकार छोड़ देने से पहले ही यह फैसला किया था कि उसकी बेटी की परवरिश मुस्लिम आस्था के अनुसार की जाए। अदालत ने धार्मिक अधिकार के इस कानूनी विवाद में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी परिवार में बच्चों की धार्मिक परवरिश कैसे की जानी चाहिए, यह सारे मामलों संबंधित कानून पहले से तय हैं।

उनमें यह बात भी शामिल है कि मुंह बोले माता पिता गोद लिए जाने वाले किसी बच्चे या बच्ची का धर्म अपने असली माता पिता की इच्छा के विपरीत परिवर्तन नहीं करवा सकते। अदालत ने कहा, ” इस मामले में बच्ची को गोद लेने वाले माता-पिता को बच्चे को जन्म देने वाली माँ की इच्छा का सम्मान करना होगा। ”

इसीलिए इस प्रांतीय अदालत ने कुछ समय पहले एक निचली अदालत द्वारा दिया जाने वाला वह परमिट रद्द कर दिया, जिसके तहत मुंह बोले माता पिता को यह अधिकार दिया गया था कि वे अपनी गोद ली गई बेटी का धर्म परिवर्तन करा कर उसकी प्रशिक्षण मुसलमान नहीं बल्कि ईसाई के रूप में कर सकते थे।