अनुच्छेद 370 को बचाना कोई मुद्दा नहीं है- बीजेपी

जम्मू: भाजपा ने रविवार को दावा किया कि जम्मू कश्मीर में ज्यादातर लोग संविधान के अनुच्छेद 370 को शीघ्र रद्द करना चाहते हैं। पार्टी ने कहा कि सरकार देश के शेष हिस्से के साथ कश्मीरियों के पूरी तरह से एकीकरण पर काम कर रही है।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, भाजपा की प्रदेश इकाई ने राज्य के लिए भाजपा-आरएसएस को पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक बड़ा खतरा बताने को लेकर नेशनल कांफ्रेंस के शीर्ष नेतृत्व पर हमला करते हुए यह दावा किया।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) अनिल गुप्ता ने कहा, ‘‘नेकां अध्यक्ष उमर (अब्दुल्ला) नाखुश हैं क्योंकि भाजपा अनुच्छेद 370 को रद्द करने का आश्वासन दे रही है जो करोड़ों भारतीयों की मांग है लेकिन वह पाकिस्तान के साथ पूरी तरह सहज हैं।’’

गुप्ता ने दावा किया कि जम्मू और लद्दाख के लोगों तथा कश्मीर में एक ‘‘बड़े तबके’’ (जो अपनी बात नहीं कहते) के लिए अनुच्छेद 370 को बचाना कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘वे जल्द ही इसे रद्द करना चाहते हैं ताकि उन्हें भारत में अर्थव्यवस्था की वृद्धि से फायदा मिल सके।

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनकी एकमात्र उम्मीद भाजपा से है। उन्हें भरोसा है कि केवल भाजपा उन्हें अब्दुल्ला परिवार के गुप्त सहयोगी पाकिस्तान के नापाक इरादों से बचा सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा कश्मीर में समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इस दिशा में सरकार कश्मीरियों के लिए सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण जीवन का माहौल पैदा करने तथा देश के बाकी हिस्सों के साथ उसके पूर्ण समामेलन के लिए कश्मीरियत और इंसानियत को वापस लाने तथा आतंकवाद को खत्म करने पर काम कर रही है।’’

नेकां के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला के बयान का जिक्र करते हुए गुप्ता ने कहा कि यह आरोप सच्चाई से परे है। अब्दुल्ला ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने में नाकाम हो गए।

अब्दुल्ला के एक अन्य बयान कि भाजपा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाने में नाकाम रही, इस पर गुप्ता ने घाटी में नेकां नेताओं और मुख्यधारा की अन्य पार्टियों को ‘‘इंसानियत और कश्मीरियत’’ का कत्ल करने के लिए जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इंसानियत हैवानियत बन गई और कश्मीरियत की जगह खलीफियत (इस्लामिक शासन) ने ले लिया है।’’