अपना लीवर देकर बचाई मां की जिंदगी

बेटे के लिए अपनी जान गंवाने वाली मां की कहानियां तो दुनिया में कई हैं, लेकिन लीवर नाकाम होने से मौत की नींद में चली गई पुणे की खातून को उसके बेटे ने अपना लीवर देकर नई जिंदगी दी है। डॉक्टरों ने कहा कि आपरेशन पूरी तरह कामयाब रहा और अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अब मां-बेटे घर पर सेहत भरी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।

गुणवंती गुंदेशा (49) को एक महीने पहले (29 मई को) यहां के परेल वाके ग्लोबल अस्पताल लाया गया था। उस वक्त वह मौत से जूझ रही थी क्योंकि जिस्म का अहम आज़ा लीवर पूरी तरह नाकाम हो चुका था। ग्लोबल अस्पताल के डाक्टर हेमंत वादेयार और समीर शाह समेत मेडिकल टीम ने गुणवंती को फौरन ही वेंटिलेटर पर रखा और जांच की तो पता चला कि उनका लीवर नाकाम हो चुका है। उनकी हालत मुसलसल डूबती चली जा रही थी।

दुनिया के मशहूर लीवर माहिरीन ( स्पेशलिस्ट) में गिने जाने वाले प्रो. मोहम्मद रेला ने कहा कि “”मरीज की हालत दिमाग में सूजन की वजह से खराब हो रही थी। यह लीवर नाकाम होने की आखिरी हालत में होती है। चुनौती ब़डी थी क्योंकि हमें एक ऐसे मरीज का आपरेशन करना था जिसकी हालात गैर मुस्तहकम थी। इसके साथ ही डोनर का आपरेशन भी इसी जरूरियात के साथ पूरी करनी थी।””

रेला ग्लोबल अस्पताल के एचपीबी और लीवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के डायरेक्टर भी हैं। वे चेन्नई से यहां दौ़डे हुए आए ओर उसी दिन वे गुणवंती की देखरेख करने वाली टीम में शामिल हुए। खातून के छोटे बेटे धीरज ने कहा कि ग्लोबल अस्पताल में शरीक कराने से पहले पुणे के रूबी अस्पताल में शरीक कराया गया था।

कुछ आयुर्वेदिक दवाएं और अंग्रेजी दवाओं की वजह से इस् मुसीबत भरे हालत में आने से पहले पीलिया हो गया।
यह तय होने के बाद ही कि जान बचाने के लिए आपरेशन जरूरी है, डोनर्स की जांच की गई और किस्मत से दोनों बेटे धवल और धीरज को इसके लायक पाया गया। दोनों ही अपनी मां की जान बचाने के लिए लीवर अतिया (दान ) करने के लिए तैयार हो गए। कुछ और जांच करने बाद डाक्टर की टीम ने ब़डे बेटे को ही इसके काबिल पाया।

वादेयार ने कहा कि “”किस्मत से से डोनर्स का ब्ल्ड ग्रुप मरीज़ से मैच कर गया और इसके इलावा और कोई परेशानी पेश नहीं आई इसलिए हमने आपरेशन करने का फैसला लिया।”” गुणवंती का खराब लीवर पूरी तरह हटा दिया गया और धीरज के लीवर का आधा हिस्सा 12 घंटे तक चले आपरेशन में transplant कर दिया गया।