बांग्लादेश की आली अदालत ने कट्टरपंथी सियासी तंज़ीम जमात-ए-इस्लामी के लीडर अब्दुल कादिर मुल्ला की फांसी का रास्ता साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जुमेरात को इस ताल्लुक में दायर दरखास्त को रद कर दिया। मुल्ला को अदालत की तरफ से फांसी की सजा दिए जाने के हुक्म के बाद मुल्क में कई जगह तसद्दुद के वाकिया हुए थें। सुप्रीम कोर्ट ने बुध के रोज़ मुल्ला की फांसी पर उस वक्त रोक लगा दी थी जब उसे फांसी देने के लिए ले जाया जा रहा था।
मुल्ला को 1971 के आज़ादी की जंग के दौरान कत्ल ए आम और रेप के तहत मुजरिम मानते हुए अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसके लिए बुध का दिन तय किया गया था। जुमेरात को सजा के खिलाफ दायर दरखास्त ( नज़रे सानी की दरखास्त) की सुनवाई करने के बाद पांच जजों की बेंच के सदर चीफ जस्टिस मौहम्मद मुजम्मल हुसैन ने मुल्ला की दरखास्त को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि मुल्ला को इलेक्शन में लड़ने पर रोक है, बावजूद इसके वह वहां की सियासत में काफी अहम रोल अदा करते हैं। वह उन पांच मुस्लिम लीडरों में शामिल हैं जिन्होंने 2010 में तश्कील बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम ट्राइब्यूनल आईसीटी के खिलाफ आवाज उठाई थी। आईसीटी ने 1971 में हुए तशद्दुद से जुड़े मामलों की सुनवाई की थी।