अब मिली कलेजे को ठंडक: लडकी के बाबा

दिल्ली गैंगरेप के चारो दरिंदो को जैसे ही जुमे के दिन फांसी की सजा सुनाई गई, मुतास्सिरा के घर वालो के साथ ही गांववालों के कलेजे को भी ठंडक मिल गई।

मुतास्सिरा के बाबा ने कहा कि फैसले में हुई ताखीर से उन्हें मायूसी जरूर थी, लेकिन कोर्ट पर पूरा भरोसा था। जब चारों मुल्ज़िमो को फांसी की सजा सुनाई गई तो कलेजे को ठंडक मिली। बिटिया को खोने का गम तो है लेकिन सजा पर सुकून भी है।

उन्होंने कहा कि नाबालिग मुल्ज़िम को तीन साल की सजा काफी नहीं है। चार दिन बाद वह दिल्ली जाकर बिटिया के वालिदैन से बात करेंगे और नाबालिग मुल्ज़िम को भी फांसी देने की मांग को लेकर अपर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

मुल्ज़िमो को सजा सुनाए जाने को लेकर बिटिया के गांव वालो को ही नहीं बल्कि पूरे जिले के लोगों में बेताबी बनी हुई थी। लोग सुबह से ही टीवी पर नजरें जमाए रहे। फैसला आते ही लोगो के दिल को मिला और सबने यही कहा, आखिरकार इंसाफ हुआ।

बिटिया के बाबा ने कहा कि उनका खानदान अदालत के साथ-साथ मुल्क के सभी लोगो का शुक्रगुजार है।

उनके मुताबिक, बिटिया को इंसाफ दिलाने की लड़ाई में जिस तरह से उनके खानदान वालो को लोगो का सहारा मिला, वे उसे कभी नहीं भूल सकते।

उधर मुतास्सिरा के चचा ने कहा कि कोर्ट पर उन्हें पूरा भरोसा था और आखिरकार इंसाफ हुआ। उनका कहना था कि मामले के नाबालिग मुल्ज़िम को भी फांसी दी जाए, तभी बिटिया को पूरी तरह से इंसाफ मिल सकेगा।

बिटिया के न होने का गम भी घर वालो के चेहरे पर साफ नजर आया। फैसला सुनते ही बिटिया के दादा-दादी व चाचा-चाची की आंखों से न चाहते हुए भी आंसू छलक पड़े। गांववालों ने कहा, इस फैसले से बिटिया की रूह को तो सुकून मिलेगी।

बिटिया के बाबा ने बताया कि फैसला सुनने के लिए वह दिल्ली जाने वाले थे। हालांकि बिटिया के वालिद ने आने के लिए मना कर दिया। उनका कहना था कि मुल्ज़िमो को फांसी की सजा न सुनाए जाने पर उनका पूरा खानदान जंतर-मंतर पर धरना देने को मजबू होता।

फांसी का फंदा बनाने वाली मुल्क की इकलौती सेंट्रल जेल, बक्सर के सुप्रीटेंडेंट सुरेंद्र कुमार अंबष्ट ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि यह फैसला तारीखी है। उनकी यही ख़्वाहिश है कि यही फैसला आगे भी कायम रहे।

–बशुक्रिया: अमर उजाला