अमेरिकी मुसलमानों को मिला गैर मुसलमानों का साथ, मनाया “एक दिन एकता का”

टेक्सास: मस्जिद के तीनों प्रवेशद्वारों पर लोग पोस्टर लेकर खड़े थे, जिसमें एक दिल बना था और लिखा था “हम सब एक हैं “और हम आपके साथ खड़े हैं।”

यह लोग “मुस्लिम अमेरिकन सोसाइटी कैटी सेण्टर” में दोपहर की नमाज़ के लिए आने वाले लोगो का इंतज़ार कर रहे थे । जैसे-जैसे लोग नमाज़ के लिए आने लगे, इन लोगों ने उन्हें दिल के अकार में बने छोटे- छोटे पिन पकड़ाने शुरू कर दिए।

“हम बस अपने पड़ोसियों को प्यार देना चाहते हैं “, उन्होंने वहां आने वाले सभी लोगो से कहा।

मस्जिद से जाते हुए एक व्यकित ने कहा ” धन्यवाद , यह बहुत सुन्दर है”।

इस वक्त जहाँ मुसलमानों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं और मुसलमानो को देश में घुसने से प्रतिबंधित किया जा रहा है, जिसकी वजह से मुसलमानो के बीच नए डर पनप रहे हैं। इसके विपरीत इन २५ लोगो ने शुक्रवार की बेहद ठंडी दोपहर को एकता का सन्देश बांटा।

क्रिस्टिन मिस्ट्री , ५० वर्षीय कैटी की निवासी ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया । क्रिस्टिन एक गैर – लाभकारी संगठन में काम करती हैं और उन्होंने इन सभी लोगो को सोशल मीडिया की मदद से इकटठा किया। उन्होंने अपने इस कार्यक्रम को “एक दिन एकता का ” का नाम दिया । यह कार्यक्रम ट्रम्प की जीत के बाद मुसलमानो के खिलाफ बढ़ती नफरत का मुह तोड़ जवाब है।

“जब हम लोगो को समझते हैं, उनसे बात करते हैं तब हम उन्हें प्यार करना शुरू करते हैं “, मिलर ने कहा। “जब हम उन्हें प्यार करते हैं तब एक दूसरे के साथ एक समुदाय की तरह रह सकते हैं, नफरत पर लोगो का बहुत ध्यान केंद्रित होता है”।

ट्रम्प ने अपने अभियान में मुसलमानो की रजिस्ट्री के बारे मे कहा था और यह भी उनका देश में प्रवेश प्रतिबंधित होना चाहिए।

बहुत सारे अमेरिकी अब मुसलमानो को शक की निगाहों से देखते हैं क्योंकि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंवादी गुट ने घोषित किया है की वे “इस्लाम की लड़ाई” लड़ रहे हैं और उनके द्वारा किये जा रहे आतंकवादी हमलो के कारण लोगो के दिलो में मुसलमानो के लिए नफरत बढ़ती जा रही है ।

“चुनावो के बाद , हम सब बहुत चिंतित हैं , जैसे की आगे क्या होगा ? ” सेण्टर की समन्वयक, नफीस मुंशी ने कहा , “परंतु इस कार्यक्रम से हमे कुछ आशा मिली है” ।

मुंशी और उसके साथी भी इस भेदभाव से बचे नहीं हैं । २००६ मे जब सेण्टर की स्थापना के बाद सेण्टर के पड़ोसी का उसके नेताओ के साथ विवाद हो गया तब उन्होंने हर शुक्रवार को सुअरो की दौड़ की मेजबानी शुरू कर दी थी। हालाँकि यह झगड़ा ख़तम कर दिया था परंन्तु यह कार्य बहुत ही अपमानजनक था क्योंकि इस्लाम मे सूअर का मांस खाने पर निषेध है और हर शुक्रवार की नमाज़ को वे पवित्र मानते हैं।

मस्जिद के अंदर , डॉ में अल-कड़ाह “असेंबली ऑफ़ मुस्लिम जूरिस्ट और अमेरिका” से आये विस्टिंग इमाम ने मस्जिद मे वहां उपस्थित सैकड़ो लोगो को एकता का सन्देश दिया । उन्होंने कहा “एक दूसरे के साथ सामंजस्य के बिना, हम एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते। २०१५ और २०१६ हमारे लिए बहुत मुश्किल रहे हैं , हम उम्मीद करते हैं की २०१७ प्यार का वर्ष होगा । जो आप बहार देख रहे हैं उसे मे अमरीका की मूलभूत विचारधारा कहता हूँ, जिसमे सिर्फ प्यार है । वे हमे बताना चाहते हैं की वे हमारे साथ हैं और यहाँ उनके समुदाय मे हमारा स्वागत है ।