अयोध्या- ‘मुस्लिम दावा छोड़ें, नहीं तो मथुरा-काशी और बाकी 40 हजार मंदिरों के लिए भी रण होगा’- विहिप

यूपी के अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की धर्मसभा में सारे संत मिलकर मंदिर निर्माण का कोई ठोस रास्ता नहीं सुझा सके। न ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बयान के बाद मंदिर निर्माण की कोई तारीख ही तय कर सके। यह जरूर हुआ कि धर्मसभा ने एक बार फिर मुसलमानों से कहा कि वे राम जन्मभूमि से अपना दावा छोड़ें और जमीन का बंटवारा नामंजूर है। अगर अध्यादेश आया तो अयोध्या के साथ मथुरा काशी और बाकी 40 हजार मंदिरों के लिए भी रण होगा।

रविवार को हुई धर्मसभा में मंदिर निर्माण की शुरुआत की मियाद तय करने की जगह ज्यादातर बड़े संत विकल्पों पर बात करते नजर आए। अधिकतर तो सीधे-सीधे केंद्र सरकार के बचाव में दिखे।

’11 दिसंबर के बाद सरकार देगी मंदिर निर्माण के लिए रास्ता’
केवल स्वामी श्रीरामभद्राचार्य ने ही यह दावा किया कि सरकार 11 दिसंबर के बाद मंदिर निर्माण के लिए रास्ता देगी। धर्मसभा अध्यक्ष स्वामी परमानंदजी महाराज ने कहा- यद्यपि अध्यादेश का प्रस्ताव धर्मसभा ने दिया था, वह आ सकता है, लेकिन उससे पहले मुस्लिम संगठनों से कहना चाहता हूं कि आप श्रीराम जन्मभूमि से दावा छोड़ दें।

वहीं, स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि सारे लोग सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखें, इससे दबाव बनेगा। हालांकि, जितेंद्रानंदजी महाराज, कन्हैयादासजी महाराज, सुरेशदासजी महाराज, देवेंद्र प्रसादाचार्य समेत कई कम नामचीन संतों ने अध्यादेश लाए जाने की बात कही। वहीं, कुछ ने तो यह भी कहा कि उन्हें यह भी मंजूर नहीं है कि श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर बनने का फैसला सुप्रीम कोर्ट करे।

वीएचपी के उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि मुस्लिम अपना दावा श्रीराम जन्मभूमि से वापस लें। दूसरे की जमीन हथियाकर इतने साल तक नमाज पढ़ी तो कुबूल नहीं हुई। राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां था। एक इंच भी इधर-उधर नहीं।


धर्म सभा के दौरान स्वामी हंसादेवाचार्य की बात से नाराज होकर श्रीराम भद्राचार्य मंच से उठकर चित्रकूट चले गए। हंसादेवाचार्य ने श्रीरामभद्राचार्य के उस दावे पर अविश्वास जताया था, जिसमें उन्होंने अध्यादेश के मुद्दे पर एक केंद्रीय मंत्री से बात और आश्वासन की बात कही थी।