असम में भाजपा को लगा तगड़ा झटका, पार्टी के वरिष्ठ नेता ने दिया इस्तीफा

असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को लेकर भाजपा में संग्राम छिड़ा हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और असम पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड(एपीडीसीएल) के डायरेक्टर निर्मल नुनिसा ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। नागरिकता (संशोधन)विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के साइलेंट ट्रीटमेंट को देखते हुए निर्मल ने अपने पद से इस्तीफा दिया है।

निर्मल का मानना है कि मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को नागरिकता(संशोधन)बिल के मसले पर ज्यादा एक्टिव होना चाहिए क्योंकि वह भी असम के व्यक्ति हैं। निर्मल ने असम में भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष रंजीन कुमार दास को अपना इस्तीफा भेजा है। इसमें निर्मल नुनिसा ने लिखा है कि असम की भविष्य की पीढ़ी के बारे में सोचकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है। निर्मल नुनिसा ने असम पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड के निदेशक पद से भी इस्तीफा दिया है।

आपको बता दें कि असम में इन दिनों नागरिकता(संशोधन) विधेयक 2016 को लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है। इस बीच रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने कहा है कि जो लोग नागरिकता(संशोधन)बिल 2016 का विरोध कर रहे हैं वे असम को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं। एक स्थानीय टीवी चैनल ने  गोहेन के बयान का हवाला दिया है।

गोहेन का कहना है कि शिलादित्य देब नागरिकता(संधोधन)विधेयक को लागू करने के समर्थन में हमेशा मुखर रहे हैं, मैं इस पर उनका समर्थन करता हूं। 1955 के सिटिजनशिप एक्ट में संशोधन के लिए नागिरकता(संशोधन)विधेयक पेश किया गया था। विधेयक में अफगानिस्तान, पाकिस्तान व बांग्लादेश में प्रताडऩा के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, जैनियों,पारसियों,ईसाईयों व बौद्धों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की बात कही गई है। बकौल गोहेन, नागिरकता(संशोधन)बिल पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को न्याय प्रदान करेगा।

आपको बता दें कि 23 अक्टूबर को 60 से भी ज्यादा संगठनों ने नागरिकता(संशोधन)विधेयक के विरोध में मंगलवार को 12 घंटे के राज्य व्यापी बंद का आह्वान किया था। इस बीच होजई से भाजपा विधायक शिलादित्य देब ने धमकी दी है कि अगर राज्य की भाजपा सरकार ने भडक़ाऊ बयान देने वाले वार्ता समर्थक उल्फा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वे और कुछ अन्य विधायक इस्तीफा दे देंगे। देब ने पत्रकारों से कहा कि वार्ता समर्थक उल्फा नेता नागरिकता संशोधन बिल 2016 को लेकर बयान दे रहे हैं, इससे राज्य में शांति और सौहार्द खतरे में पड़ सकता है।

बकौल देब, मैं केन्द्र और राज्य सरकार से अनुरोध करता हूं कि आम लोगों को धमकी देने के लिए वार्ता समर्थक उल्फा नेताओं के खिलाफ उचित कार्रवाई करे अन्यथा मैं अपना त्यागपत्र सौंप दूंगा। कुछ अन्य विधायकों से मुझसे संपर्क किया है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने उल्फा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वे भी त्यागपत्र दे देंगे। उल्फा नेता मृणाल हजारिका ने असम संग्राम ंच की ओर से आयोजित बैठक में कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वे केन्द्र को बिल वापस लेने के लिए मजबूर करने के वास्ते 1982 और 1983 के दिनों में लौट जाएंगे।

असम संग्राम मंच एक राजनीतिक दल है,जिसकी स्थापना 2015 में हुई थी। आपको बता दें कि 1980 के दशक की शुरुआत में असम मूवमेंट अपने चरम पर था। देब ने कहा, वे 1983 की ओर लौटने की बात कह रहे हैं, जब नेल्ली नरसंहार हुआ था। क्या वे एक और नरसंहार की धमकी दे रहे हैं? ये तथाकथित उग्रवादी नेता उल्फा से भाग गए थे। अगर वे शांति वार्ता के लिए आते हैं, तो उन्हें संविधान के दायरे में शांति की बात करनी चाहिए। मैं उल्फा(इंडिपेेंडेंट) के चीफ परेश बरुआ का समर्थन नहीं करता। मैं अपने इन तथा कथित उल्फा नेताओं पर अपने ओरिजनल स्टैंड पर कायम हूं।