असम NRC विवाद: 30 साल सेना में रहने के बावज़ूद नागरिकता पर शक़, ये है अजमल हक़ की कहानी!

एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस में विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। पूर्व राष्ट्रपति के रिश्तेदारों के बाद एक सेना के रिटायर्ड जवान का भी नाम उन 40 लाख लोगों की फेहरिस्त में जुड़ गया है जो एनआरसी में शामिल नहीं हैं।

गौरतलब है कि एनआरसी में जो लोग शामिल नहीं हैं उन्हें भारत का नागरिक नहीं माना जा रहा है। ऐसे में 30 साल देश की रक्षा के लिए कुर्बान कर चुके जवान का नाम इस सूची में ना होना हैरान करने वाला है।

एनआरसी में शामिल ना किए जाने वाले इस देशभक्त जवान का नाम अजमल हक है। वे 1986 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे और 2016 में जेसीओ के पद से रिटायर हुए थे।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक तमाम वैध दस्तावेज जमा कराने के बावजूद उनका नाम इस सिटिजनशिप रजिस्टर में दर्ज नहीं है। 30 साल के अपने करियर में वे करगिल से लेकर पंजाब में पाकिस्तान की सीमाओं तक तैनात रहे लेकिन अब उनकी नागरिकता पर शक जाहिर किया जा रहा है।

दरअसल उन्हें एनआरसी से बाहर किए गए चार श्रेणियों के लोगों में से फॉरेन ट्रिब्यूनल में शामिल किया गया है। इससे पहले 2012 में उनकी पत्नी को भी नोटिस भेजा गया था लेकिन सारे कागजात कोर्ट में दिखाने के बाद मामला वापस ले लिया गया।

अब उनके बेटे और बेटी का नाम भी एनआरसी से गायब है। दूसरी तरफ उग्रवादी संगठन उल्फा के प्रमुख रहे परेश बरुआ को एनआरसी में जगह मिल गई है। हालांकि उसके पत्नी और बच्चों का नाम इस ड्राफ्ट में नहीं है।