आखिर केजरीवाल से क्यों डर रहे हैं मोदी?

सवाल उठ रहा है कि अरविंद केजरीवाल को हराने के लिए बीजेपी ने 100 से ज्यादा एमपी और दर्जनों वुजराओं को दिल्ली विधानसभा इंतेखाबात में क्यों झोंक दिया है? ये सवाल भी वाजिब है कि दिल्ली एक मुकम्मल रियासत तक नहीं है फिर भी बीजेपी किसी भी कीमत पर केजरीवाल को इक्तेदार में न आने देने के लिए क्यों उतारू है?

दरअसल इन सवालों का जवाब केजरीवाल की सियासी हिकमत अमली में छिपा है. सवाल उठता है कि केजरीवाल की वह कौन सी हिकमत अमली है जिसने मोदी की नींद की उड़ा दी है?

सियासी तौर पर कम से कम समझदारी रखने वाला शख्स भी जानता है कि केजरीवाल का आखिरी टार्गेट ( हदफ) दिल्ली जैसे मामूली रियासत का सीएम बनना नहीं है. केजरीवाल का आखिरी हदफ है वही 7 रेसकोर्स है जहां पहुंचने के चक्कर में उन्होंने अपनी पिछली हुकूमत गंवा दिये थे केजरीवाल 2019 लोकसभा इंतेखाबात की तैयारी अभी से शुरू कर देना चाहते हैं, उन्हें मालूम है कि मोदी का मुकाबला करने की ताकत न राहुल गांधी में इस वक्त है और न ही किसी दूसरे लीडरों में. लिहाजा केजरीवाल सीएम बनते ही खुद को नरेंद्र मोदी के सामने खड़ा करने की कोशिश में जुट जाएंगे.

बीजेपी की नजर में केजरीवाल इसके लिए एक बार फिर अपनी पुरानी शक्ल इख्तेयार करेंगे जो एक सियासतदां का कम और एक नौटंकीबाज का ज्यादा होगा. केजरीवाल एडीटर्स के ‘गुड टेलीविजन’ ज़हनियत को भुनाने की कला के माहिर हैं. दिल्ली के राजपथ, रेल भवन पर, पार्लियामेंट के बाहर सीएम केजरीवाल के नाटक का स्टेज होगा और फिर जो कैमरा सिर्फ मोदी के आसपास घूमा करता था वो केजरीवाल के साथ बंट जाएगा.

साल दर साल केजरीवाल खुद को मोदी की च्वाइस साबित करने के दावेदार बन जाएंगे. जाहिर है बीजेपी को सिर्फ और सिर्फ यही डर सता रहा है.