आज़मीन-ए-हज्ज को मुश्किलात आर टी सी हड़ताल के पेशे नज़र हंगामी इंतिज़ामात की ज़रूरत

हैदराबाद। 26 सितंबर ( सियासत न्यूज़ ) आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी के आज़मीन-ए-हज्ज की रवानगी का 29 और 30सितंबर की दरमयानी शब से आग़ाज़ होने वाला हw। आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी और रियास्ती हुकूमत को चाहीए कि आंधरा प्रदेश रियास्ती रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की जारी हड़ताल के मद्द-ए-नज़र आज़मीन-ए-हज्ज को किसी किस्म की मुश्किलात पेश ना आएं इस के लिए हज शमस आबाद इंटरनैशनल एर पोर्ट ख़ानगी ट्रावैलस बसों का इंतिज़ाम करें।आर टी सी की जानिब से आज़मीन-ए-हज्ज केलिए बस सरवेस के आग़ाज़ से क़बल हज कमेटी की जानिब से ख़ानगी ट्रावैलस को ही आज़मीन को अर पोर्ट पहुंचाने की ज़िम्मेदारी तफ़वीज़ की जाती रही ही। बिल्लू बर्ड्स ट्रावैलस को आज़मीन-ए-हज्ज की ख़िदमत अंजाम देने का काफ़ी तजुर्बा हासिल है और मौजूदा सूरत-ए-हाल में आर टी सी की हड़ताल के पेशे नज़र आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी को चाहीए कि वो किसी भी तरह के हंगामी सूरत-ए-हाल का आज़मीन को सामना ना करना पड़े इस के लिए एहतियाती इक़दामात करते हुए आर टी सी के बजाय ख़ानगी ट्रावैलस को आज़मीन-ए-हज्ज को अर पोर्ट पहुंचाने की ज़िम्मेदारी तफ़वीज़ करी। बताया जाता है कि हज कमेटी की जानिब से ख़ानगी ट्रावैलस की ख़िदमात के हुसूल से मुताल्लिक़ ग़ौर-ओ-ख़ौज़ का सिलसिला जारी है। रियास्ती हुकूमत की जानिब से बारहा अपीलों के बावजूद आर टी सी मुलाज़मीन के रुजू बिकार होने से इनकार के बाद हज कमेटी को चाहीए कि वो आर टी सी मुलाज़मीन की ख़िदमात के हुसूल की कोशिशों के बजाय हुकूमत से ख़ानगी ट्रावैलस को ज़िम्मेदारी तफ़वीज़ करने केलिए नुमाइंदगी करे। आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी अगर मुत्तफ़िक़ा तौर पर इस बात का फ़ैसला करती है कि किसी भी ख़ानगी ट्रावैलस की ख़िदमात आज़मीन-ए-हज्ज केलिए हासिल की जाएं तो कमेटी के इस फ़ैसला को हुकूमत क़बूल करलेगी।आज़मीन-ए-हज्ज की अर पोर्ट रवानगी के सिलसिला में अगर रियास्ती हज कमेटी आर टी सी पर तकिया किए हुए रहती है तो ऐसी सूरत में रियास्ती हज कमेटी के इलावा आज़मीन-ए-हज्ज को मुश्किलात का सामना करना पड़ सकता है। आज़मीन-ए-हज्ज को किसी भी किस्म की इमकानी दुशवारीयों से बचाने केलिए आंधरा प्रदेश रियास्ती हज कमेटी को चाहीए कि वो कैंप के आग़ाज़ से क़बल ही ख़ानगी ट्रावैलस की ख़िदमात के हुसूल का ऐलान करे ताकि आज़मीन-ए-हज्ज को मसाइल से दो-चार होने से महफ़ूज़ रखा जा सके।