आप के बच्चे नहीं जाते स्कूल, तो आप नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

नई दिल्ली: बाल अधिकारों के लिए शीर्ष निकाय एनसीपीसीआर ने सभी राज्य सरकारों से यह अपील की है कि वे स्थानीय निकाय और पंचायती राज चुनावों के लिए उन उम्मीदवारों को अपात्र घोषित कर दें जो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा की गई सिफारिश के मुताबिक, किसी उम्मीदवार को अपने बच्चे के स्कूल से इस बाबत एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उसका बच्चा अमुक स्कूल में पढ़ता है और नियमित तौर पर उपस्थित रहता है.

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ईनाडु इंडिया के अनुसार, एनसीपीसीआर के सदस्य (आरटीई एवं शिक्षा) प्रयांक कानूनगो ने कहा, ‘‘हमने राज्य सरकारों से स्थानीय निकाय के चुनावों और पंचायती राज संस्थानों के चुनावों के लिए निर्वाचन के नियमों में संशोधन करने की अपील की है और कहा है कि जो कोई भी चुनाव लड़ना चाहता है, उसे अपने बच्चे के स्कूल से इस बाबत एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उसका बच्चा अमुक स्कूल में पढ़ने जाता है और नियमित तौर पर स्कूल में उपस्थित रहता है.
‘‘यदि कोई व्यक्ति यह करने में नाकाम रहता है तो वह चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं होना चाहिए.’’ कानूनगो ने यह भी कहा कि यह सुझाव संविधान के 86वें संशोधन से लिया गया है जिसमें अनुच्छेद 21ए डाला गया है और शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया है.
यह केवल उन उम्मीदवारों के लिए है जिनके बच्चे 6-14 वर्ष की आयु के हैं.