आलमी मार्च बराए येरूशलम पर चिराग़ पा इसराईली फ़ौज फ़लस्तीनीयों पर टूट पड़ी

(मुहम्मद मुबश्शिर उद्दीन ख़ुर्रम )बैत-उल-मक़्दिश और मस्जिद ए अक़्सा को यहूदी क़ब्ज़ा से आज़ाद कराने के लिए आज दुनिया भर में आलमी कारवां बराए येरूशलम निकाला गया। सबसे बड़ा मार्च बैत-उल-मुक़द्दस और मस्जिद ए अक़्सा के क़रीब देखा गया, जहां हज़ारों फ़लस्तीनी शहरीयों ने इसराईली पुलिस के ख़िलाफ़ एहतिजाज किया।

क़ाबिज़ सीहोनी ताक़तों के ख़िलाफ़ नारा बाज़ी के साथ एहितजाजी मुज़ाहिरे किए गए। इसराईली फ़ौज के साथ झड़प में 20 साला फ़लस्तीनी नौजवान के बिशमोल दो अफ़राद हलाक और 150 से ज़ाइद ज़ख्मी हुए। सीहोनी ताक़तों के ख़िलाफ़ सालाना एहतिजाज इसराईल के अंदर कई मुक़ामात पर सैकड़ों ग्रुप्स ने मुज़ाहरा किया, इसके इलावा मग़रिबी किनारा, बैत-उल-मक़्दिश, मस्जिद ए अक़्सा और गाज़ा में भी मुज़ाहिरे हुए।

पड़ोसी ममालिक लेबनान और अरदन में भी इज़हार यगानगत के मार्च निकाले गए। ये मार्च आलमी यौम ज़मीन के मौक़ा पर निकाला गया। आलमी मार्च बराए येरूशलम के लिए हफ़्तों से जारी तैयारी आज इंतिहा को पहुंच गई। ये मार्च तवक़्क़ो से ज़्यादा कामयाब रहा।

इसराईली फ़ौज ने सरहदों की नाका बंदी कर दी थी, यहां पर बड़े पैमाने पर फ़ौज तैनात थी। फ़ौज ने रबर की गोलीयां, आँसू गैस, पानी की पिचकारियों के साथ कान फाड़ देने वाली मशीनों और दीगर मज़र्रत रसाँ महलूल अशीया के साथ मोर्चा बना लिया था, लेकिन आलमी मार्च में शामिल अफ़राद ने अपने मक़सद में कामयाबी हासिल करने की आख़िर तक कोशिश की।

हिंदूस्तान से जाने वाला ग्रुप इसराईल से मुत्तसिल लेबनान की सरहद तशक़ीफ़ पर पहुंचा, जहां दीगर ममालिक के भी ग्रुप्स मौजूद थे। इस मौक़ा पर हिज़्बुल्लाह, ह्म्मास, फ़तह और हरकत उल-जिहाद इस्लामी और दीगर तंज़ीमों के क़ाइदीन ने ख़िताब किया। फ़लस्तीनी तहिरीक-ए-आज़ादी के रूह रवां शेख़ अहमद यासीन और दीगर शुहदा को ख़राज पेश किया गया।

मार्च में लेबनान में मौजूद फ़लस्तीनी पनाह गज़ीन भी शरीक हो गए। इस मार्च में हिंदूस्तान, पाकिस्तान, ईरान, जर्मनी, अमेरीका, फ़्रांस, तुर्की, आज़र बाईजान, ताजिकस्तान, बहरैन के इलावा दीगर ममालिक के समाजी कारकुन और सहाफ़ी शामिल थे। आलमी ज़राए इबलाग़ की नज़रें इस मार्च पर मर्कूज़ थीं। कई अमेरीकी सहाफ़ी इस मार्च की रिपोर्टिंग के लिए मौजूद थे। एशिया को इस मसला पर मुत्तहिद होने का मुतालिबा किया गया।

अर्ज़ फ़लस्तीन के लिए जो जद्द-ओ-जहद की जा रही है, इस आलमी मार्च के ज़रीया आलमी बेदारी का शऊर भी उजागर हो रहा है। मार्च में शामिल अफ़राद ने कहा कि सीहोनी ताक़तें अब अपना तसल्लुत ज़्यादा देर तक बरक़रार नहीं रख सकेंगे। इन ताक़तों ने आलमी मार्च को नाकाम बनाने की कोशिश की थी, लेकिन वो कामयाब नहीं हुईं।

ये मार्च लेबनान की सरहद से चार किलो मीटर दूर तक पहुंचने में कामयाब हो गया, जो इस बात का सबूत है कि आलमी सतह पर अवाम चाहते हैं कि ज़ालिम हुकमरानों का ख़ातमा हो। इस मार्च की अहम ख़ुसूसीयत ये थी कि मुख़ालिफ़ इसराईल यहूदी राहिब भी मार्च में शामिल थे।

आलमी मार्च के शुरका ने लेबनान में शहीद होने वाले 35 फ़लस्तीनी तलबा को भी ख़राज पेश किया। शुरका ने बैत-उल-मक़्दिश की आज़ादी और मुकम्मल अराज़ी फ़लस्तीन को हवाले करने पर ज़ोर दिया। ये सालाना आलमी मार्च इन वाक़्यात को याद करने के लिए मनाया जाता है, जब मार्च 1976 में इसराईल ने गलीली अरब मवाज़आत पर ग़ासिबाना क़ब्ज़ा किया था।

इस एहतिजाज में छः अरब बाशिंदे हलाक हुए थे। इस साल आलमी मार्च की अहम तवज्जा मक़बूज़ा मशरिक़ी येरूशलम की आज़ादी थी। फ़लस्तीनी चाहते हैं कि ये इलाक़ा उन के मुल्क का दार-उल-हकूमत हो। फ़लस्तीनीयों ने अपने मुतालिबा की ताईद में सारी दुनिया से एहतिजाज और मार्च की अपील की थी। जुमा के मौक़ा पर इसराईल ने फ़लस्तीनीयों को नमाज़ की अदायगी से रोक दिया।

गाज़ा में सेहत के ओहदादार आदम अबू सलमया ने कहा कि इसराईली फ़ौज ने 21 साला महमूद ज़क़ोअ को गोली मारकर हलाक कर दिया, जब कि एक और शदीद ज़ख्मी जांबर ना हो सका। जुनूबी लेबनान में इसराईल से 9 मील दूर बी फोर्ट कैसल के बाहर हज़ारों फ़लस्तीनी और लेबनानी अफ़राद जमा होकर एहतिजाज कर रहे थे।

अरदन में भी हज़ारों अफ़राद ने एहतिजाजी मुज़ाहिरा किया। फ़लस्तीन की मुनज़्ज़म मज़हबी-ओ-सयासी जमात-ए-इस्लामी तहरीक मुज़ाहमत हम्मास ने एक मर्तबा फिर वाज़िह किया है कि फ़लस्तीन की आज़ादी का वाहिद रास्ता सिर्फ मुसल्लह जिहाद है। एक इसराईली ओहदेदार ने रॉयटर्स को बताया कि शाम के साथ गोलान जंग बंदी की हदूद को भी बंद कर दिया गया है और वहां ना सिर्फ नई बाढ़ लगा दी गई है बल्कि ज़मीनी सुरंगें भी नसब कर दी गई हैं।

इस ओहदेदार के बमूजब यहां गुज़शता साल की तरह के तशद्दुद का इम्कान नहीं है । फ़ौज ने कहा कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा अमन फ़ौज ने भी गुज़शता हफ़्ता इसराईल की लेबनान से मिलने वाली सरहद का दौरा किया है और वहां इसराईली इंतेज़ामात का जायज़ा लिया है । इलावा अज़ीं येरूशलम में पुलिस ने मस्जिद ए अक़्सा में 40 साल से कम उम्र के अफ़राद को नमाज़ जुमा अदा करने से रोक दिया है ।

पुलिस के तर्जुमान मुक्की रो सिन्फ़े लड ने ये बात बताई । क़ब्लअज़ीं इसराईल ने मक़बूज़ा मग़रिबी किनारा से मिलने वाली तमाम क्रासिंग्स और दाख़िलों को बंद कर दिया है और लेबनान-ओ-शाम से मिलने वाली सरहदात पर इज़ाफ़ी दस्ते मुतय्यन करते हुए पेट्रोलिंग में शिद्दत पैदा कर दी है ।

इन इंतिज़ामात का मक़सद मुवाफ़िक़ फ़लस्तीन रैलियों को रोकना है जबकि फ़लस्तीनियों की जानिब से आलमी मार्च बराए येरूशलम का एहतेमाम किया गया है । ये मार्च आलमी यौम ज़मीन के मौक़ा पर किया जा रहा है । फ़लस्तीनी कारकुनों ने इसराईली अरब अक़लियत की जानिब से भी इस मौक़ा पर मुज़ाहिरों की अपील की है और इन का कहना है कि इसराईल की नौ आबादियात से मुताल्लिक़ पॉलीसी के ख़िलाफ़ मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर मुज़ाहिरे किए जाएंगे ।

इसराईली ओहदेदारों ने कहा कि वो चाहते हैं कि गुज़शता साल मई में पैदा हुए तशद्दुद का इआदा रोकने के मक़सद से इस तरह के इंतेज़ामात किए जा रहे हैं। गुज़शता साल मई के महीने में लेबनान और शाम की जानिब से इसराईली सरहदात की सिम्त बढ़ने वाले हज़ारों अफ़राद के हुजूम पर इसराईली फ़ौज की जानिब से फायरिंग कर दी गई थी जिस के नतीजा में कई अफ़राद हलाक हो गए थे । इसराईल के वज़ीर पुलिस अहरनोच ने फ़ौजी रेडियो से कहा कि सारे मुल्क में अफ़्वाज को मुतय्यन कर दिया गया है और वो सख़्त चौकसी बरती गई।