यूपी में कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के बीच करीब दो दर्जन सीटों पर माथापची !

यूपी में कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के बीच कई सीटों पर दोस्ताना संघर्ष देखने को मिल सकता है। दोनों तरफ से सुलह का समय समाप्त होने के संकेतों के बावजूद तीसरा ध्रुव भी है जो लगातार इस कोशिश में है कि प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए ज्यादातर सीटों पर आपसी सहमति का फार्मूला निकाला जाए।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम सपा-बसपा को लेकर तल्ख नहीं हैं। उन्होंने गठबंधन घोषित किया। हमारे लिए उन्होंने दो सीटें छोड़ीं। जवाब में हमने भी तय किया कि हम उनके लिए भी कुछ सीटें छोड़ेंगे, लेकिन कई राज्यों के दिग्गज नेता चाहते हैं कि कांग्रेस और सपा-बसपा के बीच समझौते की गुंजाइश बनाई रखी जाए।

गठबंधन में शामिल न होने की सूरत में ऐसी सीटों को चिह्नित किया जाए जहां दोस्ताना संघर्ष संभव है। करीब दो दर्जन सीटों पर इस तरह का रुख अपनाया जा सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। उम्मीद बनी हुई है।

कांग्रेस पर एनसीपी नेता शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस नेता फारुख अब्दुल्ला, टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के अलावा राजद की ओर से भी लचीला रुख अपनाने का दबाव है। इसके अलावा पार्टी के भीतर भी बड़ी संख्या में ऐसे नेता हैं जो चाहते हैं कि पूरे देश में गठबंधन ज्यादा से ज्यादा सीटों पर होना चाहिए। भाजपा का उदाहरण देकर पार्टी को नरम रुख अपनाने की नसीहत दी जा रही है। भाजपा ने कुछ राज्यों में अपनी जीती हुई सीटें भी सहयोगी दलों को दी हैं।

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि दिल्ली की तर्ज पर ही अन्य राज्यों में सुलह के लिए कई ऐसे दल भूमिका निभा रहे हैं जिनका उन राज्यों में कोई असर नहीं है। उनकी इच्छा है कि भाजपा को किसी भी सूरत में पराजित करने की रणनीति पर काम करना जरूरी है। इसलिए मतों का विभाजन जितना रोका जा सकता है रोकना चाहिए।

कांग्रेस की रणनीतिक चर्चाओं में शामिल एक नेता ने कहा कि हमारी भी पूरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा भाजपा विरोधी दलों के साथ सहमति बने। हम जहां और जितना लचीला रुख अपना सकते हैं कर रहे हैं, लेकिन दूसरे दलों को भी कांग्रेस की अहमियत समझनी होगी। सूत्रों का कहना है कि बसपा ने कुछ सीटों को लेकर तल्खी बरकरार रखी, जिसकी वजह से सहमति बनने में दिक्कत आई है। वहीं, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हमेशा सपा-बसपा को लेकर नरमी दिखाई है।