इक़बाल रज़ा का ब्लॉग: सऊदी अरब में निजीकरण और आर्थिक सुधार!

सऊदी अरब नेतृत्व व्यापक और परिवर्तनकारी सुधारों के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है जिसमें सामाजिक-आर्थिक सुधारों की एक लंबी फेहिरस्त शामिल है जो आर्थिक विविधीकरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इसमें खासकर निजीकरण और विदेशी निवेशकों के लिए बाजार खोलना मुख्य रूप से शामिल है जिसकी झलक बुधवार को रियाद कांफ्रेंस में देखी गयी। इसमें विश्व के प्रसिद्ध वित्तीय फर्म (BlackRock (BLK), HSBC, JPMorgan’s (JPM) आदि भाग लिए जो ‘Vision 2030’ के लिए ज़रूरी है।

निजीकरण (Privatization) सऊदी अरब के आर्थिक सुधार का अहम हिस्सा है। सरकार 2020 तक $11 बिलियन के निजीकरण लक्ष्य को हासिल करने का इरादा लेकर चल रही है। देश की राष्ट्रीय तेल कंपनी सऊदी अरामको, निजीकरण कार्यक्रम के सन्दर्भ में दुनिया भर में सुर्ख़ियों में छायी रही।

हालांकि, योजना सिर्फ अरामको तक ही सीमित नहीं है। सरकार के सुधार कार्यक्रम (Reform Program) में बंदरगाह, रेलवे, यूटिलिटीज तथा हवाई अड्डों आदि में हिस्सेदारी (Stake) की बिक्री भी शामिल है। अरामको के 5% की आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (Initial Public Offer) अब 2021 में आने की उम्मीद है जो आंशिक रूप से तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण हो सकता है।

सरकार के निजीकरण योजना के ऐलान के वक़्त ब्रेंट इंडेक्स $40 प्रति बैरल के आस-पास थी जो अब तक़रीबन तीन साल बाद क़रीब-क़रीब दोगुनी हो चुकी है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान से तेल खरीदने पर दी गई छूट के आगे न बढ़ाने से इसमें लगातार बढ़ोतरी के आसार हैं।

यदि तेल की कीमत अपने मौजूदा स्तर पर बनी रहती हैं, तो निजीकरण योजना को और गति मिलने की संभावना है। हालाँकि इस वक्त सुधार की गति थोड़ी धीमी चल रही है इसलिए, फ़िलहाल ज़्यादा क़यास लगाना सही नहीं होगा।