इजतिमाई इस्मत रेज़ि मुजरिमीन को सज़ाए मौत का मुतालिबा

दिल्ली में 16 दिसम्बर को पेश आए इजतिमाई इस्मत रेज़ि और क़त्ल वाक़िये को निहायत ही घिनावना जुर्म क़रार देते हुए पुलिस ने आज चारों ख़ातियों को मौत की सज़ा देने का मुतालिबा किया।

इन मुल्ज़िमीन ने जिस तरह की बरबरीयत अंगेज़ हरकत की है इसके लिए माफ़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। इन चारों को मौत के घाट उतार देना ज़रूरी है, लेकिन मुजरिम 26 साला मुकेश, 20 साला विजय शर्मा, 19 साला पवन गुप्ता और 28 साला अक्षय ठाकुर के वुकला ने फ़ास्ट ट्रैक अदालत से अपील की कि इन ख़ातियों की रहम की दरख़ास्त पर ग़ौर करते हुए माफ़ किया जाये। वुकला ने महात्मा गांधी के मशहूर क़ौल का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ़ ख़ुदा ही ज़िंदगी दे सकता है और वो ही ज़िंदगी लेने का सज़ावार है।

3 घंटे तवील बहस के बाद एडिश्नल सेशन जज योगेश खन्ना ने मुजरिमीन के ख़िलाफ़ सज़ा सुनाने के अपने फ़ैसले को जुमा तक के लिए टारोक दिया है। इजतिमाई इस्मत रेज़ि, क़त्ल और ग़ैर फ़ित्री जिन्सी हिरासानी और डकैती के मुल्ज़िमीन को अदालत ने मंगल को ही ख़ाती क़रार दिया था और कहा था कि ये जुर्म ना सिर्फ़ घिनावना है बल्कि फ़ित्री तौर पर नाक़ाबिल माफ़ी जुर्म है। इन जैसे अफ़राद का हवाला देते हुए ख़ुसूसी सरकारी वकील दया कृष्णन ने कहा था कि मैं समझता हूँ कि इन ख़ातियों को सख़्त से सख़्त सज़ा दी जानी चाहिए। बहस में हिस्सा लेते हुए कृष्णन ने कहा कि चारों ख़ातियों को सज़ाए मौत दी जानी चाहीए क्योंकि ये केस अपनी नौईयत का निहायत ही घिनावना और दिलसोज़ है। ख़ातियों ने एक नौजवान बेबस लड़की के साथ वहशियाना हरकत की जबकि वो लड़की उनसे ज़िंदगी की भीक मांगती रही, लेकिन इन ख़ातियों ने उस पर कुछ रहम नहीं किया लिहाज़ा ये भी किसी रहम के क़ाबिल नहीं है।

वकील सफ़ाई ने ख़ातियों को सुधरने का एक मौक़ा देने की अदालत से दरख़ास्त की लेकिन कृष्णन ने कहा कि ख़ातियों से हमदर्दी दिखाने की ज़रूरत नहीं। अवाम की बड़ी तादाद इस केस पर नज़र रखी हुई है। ज़्यादा से ज़्यादा सख़्त सज़ा देने से समाज को ये पयाम मिलेगा कि मुस्तक़बिल में इस तरह के वाक़ियात का इर्तिकाब नहीं हो सकेगा।

अगर आज़म तरीन सज़ा नहीं दी गई तो समाज को ग़लत पयाम जाएगा कि कितनी भी घिनौनी हरकत की जाये ख़ातियों को अदालतों से छूट मिल जाएगी। जिन्सी हमला उस मुआशरे का सब से शर्मनाक जुर्म है।