इजरायल-फिलिस्तीन टकराव: ‘शांति बहाली की सख्त जरूरत’!

इक़बाल रज़ा, कोलकाता। फिलिस्तीन और इजरायल ने 1948 से स्थैतिक और विरोधी लक्ष्यों का पीछा किया: फिलिस्तीन इजरायल को खत्म करने की कोशिश की तो इजरायल स्वीकार्यता के लिए काम किया। ये इतने विपरीत हैं कि कोई भी समझौता संघर्ष को हल नहीं कर सकता है; या तो यहूदी राष्ट्र की अवधारणा गायब हो जाता है या उसके पड़ोसी राष्ट् इसे स्वीकार करने को मजबूर हो जाते हैं। एक तरफ फिलिस्तीन इस मसले को हल करने की कोशिश करता रहा है वहीं दूसरी तरफ इजरायल इसे मैनेज करता चला आ रहा है।

इस स्वीकार्यता को बरक़रार रखने के लिए इजरायल की स्पष्ट नीति है हर तरह के विरोध को कुचलते रहो जो यहूदी राष्ट्र की अवधारणा को नकारे और अपने (GREATER ISRAEL Project) को आगे बढ़ाते रहो । इजरायल अपने बर्बरतापूर्ण व्यवहार से हमेशा जताता रहा है कि इजरायल मजबूत, कठोर और स्थायी है।

अभी इस परिस्तिथि में फिलिस्तीनियों के लिए आवश्यक है की वे युद्ध तंत्र तथा आत्मघाती धमाका को बंद करें, यहूदियों और इजरायल के अस्तित्व को नकारने के बजाय यरूशलम से यहूदी के संबंधों को को देखते हुए और इजरायल के साथ संबंधों को “सामान्य बनाना” प्राथमिकता में होना चाहिए। इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकेगा जब एक लंबी अवधि के दौरान और पूरी स्थिरता के साथ, हिंसा को समाप्त किया जाए, अगर वे करना चाहें तो?

लेखक: इक़बाल रज़ा, (अरब देशों के जानकार)