इमीटेशन ज्यूलरी पर टैक्स बोझ कम करने का हुकूमत से मुतालिबा

इमीटेशन ज्यूलरी मीनू फ़ेकचररस असोसी एष्ण ने हुकूमत पर ज़ोर दिया कि इमीटेशन ज्यूलरी (नक़ली जे़वरात) पर टैक्स बोझ को कम किया जाय जिन का इस्तिमाल ग़रीब करते हैं जबकि मुतमव्विल तबक़ा की जानिब से इस्तिमाल किए जाने वाले तिलाई जे़वरात पर इस तरह का कोई टैक्स नहीं है।

सदर असोसी एष्ण मिस्टर रमेश जनाई के मुताबिक़ सोने और चांदी के जे़वरात की क़ीमतों में भारी इज़ाफ़ा के बाइस मुल्क में इमीटेशन ज्यूलरी के इस्तिमाल का रुजहान बढ़ रहा है।

इस के नतीजा में इस के कारोबार में कई गुना इज़ाफ़ा हुआ है। मिस्टर नागेंद्र जय महित, सिक्रेटरी असोसी एष्ण ने कहा कि इमीटेशन ज्यूलरी एक काटेज और ग़ैर मुनज़्ज़म सनअत है जो लाखों वर्कर्स को रोज़गार फ़राहम कर रही है, जिन में 70 फ़ीसद नाख़्वान्दा ख़ातून वर्कर्स हैं।

उन्हों ने कहा कि ताज्जुब की बात है के इमीटेशन ज्यूलरी पर टैक्स का भारी बोझ बशमोल एक्साइज़, वयाट और 5% महसूल चुंगी, जबकि बशमोल तबक़ा की जानिब से इस्तिमाल किए जाने वाले सोने और चांदी के जे़वरात पर कोई एक्साइज़ डयूटी नहीं है।

उन्हों ने हुकूमत से अपील की कि एमीटशन ज्यूलरी पर टैक्स बोझ को कम किया जाय।