इशरत जहां मुठभेड़ मामले की याचिकाओं पर17 जुलाई को आ सकता है आदेश, फैसला सुरक्षित

इशरत जहां से संबंधित कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूर्व पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और एनके अमीन की उन याचिकाओं पर यहां सीबीआई अदालत ने आदेश 17 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया, जिनमें उन्होंने खुद को आरोपमुक्त किए जाने का आग्रह किया है. विशेष न्यायाधीश जेके पांड्या ने आज सुनवाई पूरी कर ली. सीबीआई ने पूर्व आईपीएस अधिकारी और राज्य पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अमीन की याचिकाओं का विरोध किया. जांच एजेंसी के वकील आर सी कोडेकर ने अपनी दलील पूरी करते हुए कहा कि स्वतंत्र गवाहों ने उस फार्म हाउस पर वंजारा की उपस्थिति की पुष्टि की थी जहां फर्जी मुठभेड़ में मारने से पहले इशरत और तीन अन्य को रखा गया था.

सीबीआई के वकील ने कहा कि उन लोगों को मारने की साजिश रचने के लिए हुई बैठक में वंजारा की मौजूदगी के बारे में उपलब्ध साक्ष्य पी पी पांडेय की उपस्थिति से संबंधित साक्ष्य से ज्यादा मजबूत है. गुजरात पुलिस के पूर्व प्रभारी महानिदेशक पांडेय को साक्ष्यों के अभाव में फरवरी में मामले से आरोपमुक्त कर दिया गया था. वंजारा ने मामले में समान आधार पर खुद को आरोपमुक्त किए जाने का आग्रह किया है. वंजारा ने अपने आवेदन में यह भी दावा किया है कि एजेंसी द्वारा दायर किया गया आरोपपत्र ‘मनगढ़ंत’ है और मामले में उनके खिलाफ कोई ‘अभियोजन योग्य सामग्री’ नहीं है और गवाहों के बयान ‘काफी संदिग्ध’ हैं. अदालत ने अमीन के आवेदन पर पहले ही सुनवाई पूरी कर ली थी.

15 जून 2004 को हुई थी मुठभेड़
इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए थे. पुलिस ने दावा किया था कि चारों के एक आतंकी संगठन से संबंध थे और वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बना रहे थे. उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एस आई टी) ने हालांकि कहा था कि मुठभेड़ फर्जी था. सीबीआई ने 2013 में अपने पहले आरोपपत्र में आई पी एस अधिकारियों पांडेय, वंजारा और जी एल सिंघल सहित सात पुलिस अधिकारियों के नाम आरोपी के रूप में लिए थे.