इस्लाम को लॉजिक से जोड़ने वाले अबू अल-हसन की दास्ताँ

अस्सलाम ओ आलेकुम, सिआसत हिंदी में हम आज आपके साथ बात करेंगे एक और इस्लामिक गोल्डन ऐज के फिलोसोफ़र की. अबू अल-हसन मोहम्मद इब्न यूसुफ़ अल अमीरी जिनकी पैदाइश खोरासाँ, इरान में हुई थी, फिलोसोफ़र थे. इस्लामिक गोल्डन ऐज के ज़माने में जन्मे अबू अल-हसन लॉजिक के आधार पर चीज़ों को सही या ग़लत साबित करते थे लेकिन उनका यक़ीन था कि इस्लाम की सच्चाई उसके लॉजिक पर बेस्ड है. उन्होंने कहा कि इस्लाम और लॉजिक कभी अलग नहीं हो सकते. उन्होंने इस्लाम के हर सेक्ट को जोड़ने की कोशिश की.
अबू अल-हसन का मानना था कि इस्लाम किसी भी दूसरे धर्म से बेहतर है.
अल किंदी की विरासत को बढाने वाले अबू अल-हसन की दोस्ती इब्न मिस्कवा से थी, अल फ़राबी और इब्न सीना भी उन्हीं के ज़माने में आये. उन्होंने लगभग हर टॉपिक पर बात की फिर वो चाहे लॉजिक हो, फिजिक्स, मेटाफिजिक्स, एथिक्स, बायोलॉजी या धर्म.

आख़िरी दौर में वो बुख़ारा चले गए और 992 में निशापुर में उनका इंतिक़ाल हो गया. उन्होंने कई किताबें लिखीं हैं.