इस इंजीनियर ने किया कमाल, हल कर दी 70 साल की मुश्किल :

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इस खातून जीनियस ने हल कर दी ऐसी प्रॉब्लम जिसे 70 साल तक कोई नहीं कर सका।

नई दिल्ली (30 दिसंबर): दुनिया को ‘जीरो’ देने वाला देश भारत मैथ में हमेशा से कुछ न कुछ देता रहता रहा है। इस कामयाबी में आर्यभट्ट जैसे से शुरू होने वाले सिलसिले में कई हिंदुस्तानी खातून का नाम भी जुड़ गया है। ‘ह्यूमन कम्प्यूटर’ के नाम से पहचान बनाने वाली शकुन्तला देवी ने दुनिया को दिखा दिया था कि कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है। शकुन्तला ने मैथमेटिक्स की ऐसी मुश्किल को बेहद कम वक्त में हल कर दिया जिन्हें हल ना कर पाने वाले लोगों ने नामुमकिन कह दिया था। लेकिन शकुन्तला के अप्रैल 2013 में दुनिया को अलविदा कहने के बाद, अब इसी कतार में अगला नाम किसी का जुड़ सकता है तो वह है नीना गुप्ता का।

‘कॉस्मोपॉलिटन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नीना गुप्ता भी एक मैथ जीनियस हैं। उन्होंने मैथ के फील्ड में एक लाजवाब काम किया है। कोलकाता की रहने वाली नीना गुप्ता को पिछले साल इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (आईएनएसए) का मेडेल मिला। उन्हें यह मैडेल ऐसी मैथ प्रॉब्लम्स को सॉल्ब करने के लिए एक यंग साइंटिस्ट के तौर पर दिया गया, जिसे पिछले 70 सालों से कोई भी सॉल्ब नहीं कर सका।

सालो तक जिस मैथ प्रॉब्लम को कोई भी सॉल्ब नहीं कर पाया उसे नीना ने सॉल्ब कर दिया। इस मैथ प्रॉब्लम को ज़रिस्की कैंसेलेशन कॉन्जैक्चर (Zariski Cancellation Conjecture) कहा जाता है। आईएनएसए ने इस सॉल्यूशन को ”अल्जैब्रिक जियोमिट्री में हालिया सालों में कहीं पर भी किए गए सॉल्यूशन्स में सबसे बेहतर कहा।”

आईएनएसए अवार्ड के साथ ही नीना को साल 2014 का रामानुजन प्राइज़ और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रीसर्च (टीआईएफआर) के एल्यूमनाई एसोसिएशन की तरफ से साल 2013 का सरस्वती कॉवसिक मैडेल भी दिया गया। लेकिन नीना का मानना है कि आगे बढ़ने के लिए आसमान ही आखिरी मंजिल है। वह अभी भी सीखने की चाहत रखती हैं। इस वक्त वह ‘कम्यूटेटिव अल्जेब्रा’ में अपना वक्त लगा रही हैं।

आईएनएसए में वह कभी एक तलबा हुआ करती थीं अब यहीं वे एक फैकल्टी मेंबर हैं। इसके अलावा मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रीसर्च में भी एक विजिटिंग फैकल्टी हैं। इसके अलावा कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट में एक विजिटिंग साइंटिस्ट भी है।