प्रेग्नेंसी कैसे होती है? इसके लिए दो चीजें जरूरी है, जिनमें से किसी भी एक की अनुपस्थिति में प्रेगनेंसी मुमकिन नहीं। पहला, स्त्री और पुरुष के बीच यौन संबंध यानी संभोग और दूसरा शरीर में एग और स्पर्म की उपस्थिति और उनका मिलन।
अब इस चक्र को समझें कि स्त्रियों को पीरियड्स क्यों होते हैं। स्त्री के प्रजनन अंग यानी अंडाशय से हर महीने अंडाणु बाहर निकलते हैं और फैलोपियन ट्यूब में जाते हैं। वहां आठ दिनों तक अंडाणु स्पर्म यानी शुक्राणु से मिलन की प्रतीक्षा करते हैं।
पीरियड्स शुरू होने के बाद 12वें से लेकर 18वें दिन तक का समय सबसे उर्वर यानी फर्टाइल माना जाता है। इस दौरान संबंध बने तो गर्भ ठहरने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
25 दिनों के चक्र के दौरान जब अंडाणु और शुक्राणु का मिलन नहीं होता तो अंडाणु टूटकर गर्भाशय में आ जाते हैं और फिर मासिक चक्र यानी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।
एक मासिक चक्र खत्म होने के बाद नए सिर से अंडाणु के बनने और फैलोपियन ट्यूब में आने की प्रक्रिया शुरू होती है। यह चक्र हर महीने चलता है।यानी पीरियड्स के दौरान असुरक्षित सेक्स से प्रेगनेंट होने की संभावना लगभग शून्य होती है।
लेकिन फिर भी इस बात का दावा नहीं किया जा सकता कि प्रेगनेंट बिलकुल नहीं होगी। कई बार किसी अन्य कारण से हो रही ब्लीडिंग को अगर पीरियड समझकर उस दौरान संबंध बनाया जाए तो भी प्रेगनेंट हो सकती है.इसलिए बेहतर यही होगा कि चाहे पीरियड हों या न हों, हर बार सुरक्षित यौन संबंध ही बनाया जाए, जैसे कंडोम या बर्थ कंट्रोल पिल।
पीरियड के दौरान प्रोटेक्शन का सबसे सही तरीका है कंडोम का इस्तेमाल। क्योंकि इस दौरान असुरक्षित सेक्स से कई तरह के इंफेक्शन होने की आशंका रहती है। इसकी वजह यह है कि रक्त में कीटाणु पनपने का डर सबसे ज्यादा होता है। इसलिए बेहतर यही है कि इस दौरान असुरक्षित सेक्स न किया जाए।
साभार- न्यूज 18