ईदगाह मीर आलम पर मेन गेट की कमान लगाने का वादा वफ़ा ना हुआ

हैदराबाद 1 अगस्त: रियासती वज़ीर अकलियती बहबूद मुहम्मद अहमदुल्लाह के बारे में मशहूर है कि वो वादे तो बहुत करते हैं लेकिन उसे वफ़ा नहीं करते चाहे वो वादे मसाजिद और ईदगाहों के ताल्लुक़ से ही क्यों ना हो । कई बरसों से उन की एक आदत सी रही है।

ईदैन से चंद यौम क़बल महिकमा अकलियती बहबूद के हुक्काम , वक़्फ़ बोर्ड के सदर नशीन और मुख़्तलिफ़ सरकारी मह्कमाजात के ओहदेदारों के हमराह वो ईदगाह मीर आलम और मक्का मस्जिद जैसे अहम मुक़ामात पर पहुंचते हैं और अपने पी ए से लेकर सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड और दीगर ओहदेदारों को बड़े ही पुरज़ोर अंदाज़ में हिदायात देते हैं कि फ़ुलां काम को फ़ौरी मुकम्मल किया जाये।

फ़ुलां मुक़ाम का मुआइना करते हुए रिपोर्टस पेश की जाएं वगैरह वगैरह लेकिन उन की हिदायत के एन मुताबिक़ कोई काम अंजाम नहीं पाता और ना किसी किस्म की रिपोर्ट तय्यार होती है।गुज़शता साल ईदगाह मीर आलम के दौरा के दौरान राक़िमुल हरूफ़ ने महिकमा अकलियती बहबूद , वक़्फ़ बोर्ड ,पुलिस ,बलदिया फ़ायर ब्रिगेड महिकमा आ बरसानी वगैरह के ओहदेदारों की मौजूदगी में सवाल किया था कि,

ईदगाह के मेन गेट की कमान कैसी होगी और कब तामीर की जाएगी ? जवाब में अहमदुल्लाह ने अपने मख़सूस अंदाज़ में हाथ उठाकर इशारों में बताया था कि कमान रेहल नुमा होगी। कमान पर रेहल का डिज़ाइन होगा वगैरह वगैरह ।उन्हों ने उस वक़्त कहा था कि कमान बहुत जल्द तामीर की जाएगी।

लेकिन एक साल गुज़रने के बावजूद कमान की तामीर तो दूर वहां कमान की बुनियादें तक नहीं डाली गइं । हद तो ये है कि ईदगाह मीर आलम में ईद के इंतिज़ामात के लिये सिर्फ़ 2.5 लाख रुपये मंज़ूर किए गए।

चूँकि शहर में वक़फ़ा वक़फ़ा से बारिश होरही है इसे में रियासती महिकमा अकलियती बहबूद और वक़्फ़ बोर्ड को चाहीए कि वो मक्का मस्जिद की तरह ईदगाह मीर आलम,ईदगाह मादना पेट और ईदगाह क़िला गोलकुंडा में भी मुसल्लियों को बारिश से महफ़ूज़ रखने के लिये आरिज़ी छतें( टीन शेड्स )नसब करे लेकिन इन बेचारों से इन कामों की तकमील की उम्मीद नहीं की जा सकती क्यों कि ये लोग इन ईदगाहों पर बोर्डसन सब करने से तक क़ासिर है ।।