ईरान अमेरिका ज़ंग हुई तो तबाह होगा पुरा अरब जगत!

ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी अब जंग का रूप इख्तियार करती हुई दिखाई दे रही है। अमेरिका की मिडिल ईस्‍ट में की जा रही तैयारी इसी तरफ इशारा भी कर रही है। हालांकि, अमेरिका की इस तरह की कार्रवाई से जहां कई देश सहमे हुए हैं वहीं कुछ देश इससे नाखुश भी हैं।

इनमें से ही एक देश स्‍पेन है, जिसने अपने जंगी जहाज को यूएस नेवी स्‍ट्राइक ग्रुप का हिस्‍सा बनाने से अब इनकार कर दिया है। मेडरिड में हुई एक मीटिंग के बाद इसका फैसला लिया गया है। इसकी जानकारी भी पेंटागन को दे दी गई है।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार. स्‍पेन का यह फैसला कई मायनों में बेहद खास है। आपको बता दें कि स्‍पेन 1982 से ही नाटो का सदस्‍य है। ऐसे में मिडिल ईस्‍ट में जंगी जहाजों के अमेरिकी फैसले का विरोध कर स्‍पेन ने कहीं न कहीं यह जता दिया है कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप का फैसला सही नहीं है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने 5 मई को ईरान के खिलाफ मिडिल ईस्‍ट में अपने जंगी जहाज यूएसएस अब्राहम लिंकन और इसके कॉम्‍बेट ग्रुप को तैनात करने का एलान किया था। इस बेड़े में उस वक्‍त स्‍पेन का मेंडेज न्‍यूनेज भी शामिल था। लेकिन अब स्‍पेन के ताजा फैसले के बाद इसको इस बेड़े से बाहर कर दिया जाएगा।

स्‍पेन अकेला नहीं है जो ईरान के मुद्दे पर राष्‍ट्रपति ट्रंप के फैसले को गलत ठहरा रहा है, बल्कि अमेरिका के डेमाक्रेटिक सांसद भी ट्रंप को इस फैसले के खिलाफ चेतावनी दे चुके हैं। सांसदों ने ट्रंप से अपील की है कि वह दोबारा ईरान से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें।

इतना ही नहीं हाउस की स्‍पीकर नेंसी पेलोसी का यहां तक कहना है कि कांग्रेस की मंजूरी के बिना ईरान के खिलाफ किसी भी तरह की सैन्‍य कार्रवाई न की जाए। इसके उलट रिपब्लिकन सांसद ट्रंप के इस फैसले को सही बताने में लगे हुए हैं।

इतना ही नहीं अमेरिका ने ईरान के खिलाफ जोर-शोर से तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इसके तहत अमेरिका ने पिछले दिनों मिडिल ईस्‍ट में पेट्रियट मिसाइल की तैनीती बढ़ा दी थी।

वहीं अब उसने इराक में मौजूद अपने दूतावास से कई कर्मचारियों को वापस आने के आदेश भी दे दिए हैं। अमेरिका का कहना है कि कुछ इमरजेंसी स्‍टाफ को छोड़कर अन्‍य स्‍टाफ तुरंत वापस आ जाए। इतना ही नहीं अमेरिका ने सऊदी अरब और इराक में मौजूद अपने नागरिकों की रक्षा के लिए दोनों देशों को उचित कदम उठाने को भी कहा है।

इसके अलावा अमेरिका ने पिछले दिनों सऊदी अरब के दो जहाजों को डुबाने के मकसद से उन्‍हें नुकसान पहुंचाने का भी ठीकरा ईरान के ही सिर फोड़ा है। वहीं ईरान ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।

लेकिन इस घटना ने इलाके में माहौल को और अशां‍त करने का मौका जरूर दे दिया है। वहीं दूसरी तरफ डेमोक्रेट्स लगातार राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्‍टन के उस बयान को भी मुद्दा बना रहे हैं जिसमें उन्‍होंने कहा था कि मिडिल ईस्‍ट में ईरान के खतरे को देखते हुए सवा लाख जवानों की तैनाती जानी चाहिए। उनके इस बयान की जानकारी न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने सोमवार को दी थी।