उत्तराखंड में चार महीने तक खान-संबंधी कार्यो पर प्रतिबंध

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चार महीनों के लिए राज्य की खनन गतिविधियों को ‘पूर्ण’ रूप से प्रतिबंधित करने का आदेश दिया। यह आदेश चार दिन बाद आया जब रामनगर में एक वन कार्यकर्ता की कथित रूप से खनन माफिया ने हत्या कर दी जब वो उनका पीछा कर रहा था।

न्यायमूर्ति ‘राजीव शर्मा’ और न्यायमूर्ति ‘सुधांशू धुलिया’ की खंडपीठ ने 2016 में ‘नवीन चंद्र पंट’ द्वारा दायर की गयी एक जनहित याचिका पर कार्यवाही करते हुए आदेश दिया कि राज्य में नदी पर खनन के विस्तार का आकलन करने के लिए एक उच्च शक्ति समिति का गठन किया जो चार महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट न्यायलय में प्रस्तुत करेगी। आदेश में कहा गया की, “तब तक, उत्तराखंड के वन क्षेत्र, नदियों और धाराओं पर खनन गतिविधियों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जायेगा”।

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि समिति के रिपोर्ट पेश करने तक वह कोई भी “नया लाइसेंस, खनन पट्टे, पुनर्प्रेषण या पूर्वेक्षण लाइसेंस” जारी न करे। न्यायालय ने राज्य सरकार को अवैध खनन में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सभी संभावित कदम उठाने का भी निर्देश दिया चाहे उसमे उनके खिलाफ एफआईआर दायर करना ही शामिल हो।