उत्तराखंड में RSS खोल रहा है मदरसा, विरोध में उतरा मुस्लिम समुदाय

मुस्लिमों समुदायों को शिक्षित करने के लिए उत्तराखंड में आरएसएस जल्द ही मदरसे खोलेगा. इसके लिए जमीन भी खरीद ली गयी है और जल्द ही इसका काम भी शुरू होने जा रहा है. इन मदरसों की देखरेख ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ करेगी.

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच आरएसएस का ही एक सहयोगी संगठन है. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा संचालित इन मदरसों की सबसे बड़ी खास बात यह होगी कि यहां परंपरागत शिक्षा के विपरीत मॉडर्न व टेक्निकल शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. इस तरीके की शिक्षा दिये जाने के कारण संघ के ये मदरसे देशभर के मदरसों को चुनौती देंगे. दरअसल, देश में चल रहे मदरसों में आधुनिक शिक्षा के अभाव को लेकर आरएसएस चिंतित है. आरएसएस का मानना है कि जो भी छात्र मदरसों में पढ़ाई कर रहे हैं उनको सिर्फ मुस्लिम धर्म की ही शिक्षा दी जाती रही है. जबकि आज के दौर में परंपरागत पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर और विज्ञान की पढ़ाई की भी आवश्यकता है.

उत्तराखंड में आरएसएस के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की महिला विंग की अध्यक्ष सीमा जावेद का कहना है कि अभी तक जो पढ़ाई मदरसों में हो रही है वह आधुनिक नही है. हमारा मकसद है कि ऐसे आधुनिक मदरसे तैयार किये जायें जहां सभी प्रकार के आधुनिक विषय पढ़ाये जायेंगे. इसका मकसद युवाओं को बेहतर शिक्षा देना है. हम लंबे समय से इस पर काम कर रहे हैं. उत्तराखंड के हर जिले में एक मदरसा खोलने की हमारी योजना है.

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने बताया हिंदुस्तानी मदरसा
उत्तराखंड में आरएसएस का राष्ट्रीय मुस्लिम मंच पहला और देश में छठा मदरसा खोलने जा रहा है. यूपी के मुरादाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर में इसकी शाखाएं हैं. मुजफ्फरनगर में दो शाखाएं काम कर रहीं हैं. संस्था इसे हिंदुस्तानी मदरसा बता रही है. उनका कहना है कि मदरसे का लक्ष्य छात्रों के मन में मानवता और राष्ट्रवाद का भाव पैदा करना है. आंकड़ों के अनुसार, उत्तरखंड में इस समय करीब 20 हजार से ज्यादा बच्चे राज्य के 297 मदरसों में तालीम ले रहे हैं.

विरोध में आया मुस्लिम समुदाय

देहरादून के एक मौलाना रईस अहमद काजमी का कहना है कि पहले उनको मदरसा खोलने दीजिये फिर हम बताएंगे कि मदरसा कैसे चलता है. अभी तो मदरसों की मान्यता ही नही है. ये कैसे चलाएंगे यह देखना बाकी है.

मुसलमानों का समर्थन भी मिला

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की महिला विंग की अध्यक्ष सीमा जावेद ने आधुनिक शिक्षा पर सवाल उठाने वालों का जवाब देते हुए कहा कि मदरसे शुरू करने से पहले मान्यता ली जायेगी ताकि किसी छात्र का भविष्य खराब न हो.